अयोध्या से सटे सहनवा गाँव में आज भी मौजूद है मीर बाकी की मजार और उनके वंशज बताते चलें कि मीर बाकी वही शख्स है जिसने बाबरी मस्जिद का निर्माण 1500 ईसवी में कराया था अब उनके वंशज इस विवाद के हल के लिए आगे आए हैं और उन्होंने पत्र लिखकर आपसी समझौते की बात कही है और विवादित भूमि से दूर मस्जिद निर्माण के लिए गांव में जमीन देने का प्रस्ताव भी दिया है . बताते चलें राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में समाधान को लेकर पहले से ही मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य आध्यात्मिक
गुरु श्री श्री रविशंकर से मिल चुके हैं . इस मुलाकात का स्वागत करते हुए अयोध्या में मीर बाकी के वंशजों में से एक बाबरी मस्जिद के मुतव्वली रहे सैयद कल्बे हसन के पौत्र रजी हसन ने पत्र लिखकर यह कहा है कि यदि पक्षकारों के बीच आपसी समझौता हो जाता है तो वह अयोध्या से सटे ग्रामीण क्षेत्र सहनवा गांव में मस्जिद के लिए जमीन देने को तैयार हैं .
मीर बाकी के वंशजों ने श्री श्री रविशंकर और मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों की सुलह की पहल को सराहा बताते चलें कि सहनवा में ही मीर बाकी कि मजार भी है अयोध्या में बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि मामले के सुलह के लिए एक नए पक्ष के रूप में मीर बाकी के वंशजों के रूप में जो लोग सामने आए हैं उनमें बाबरी मस्जिद के मुतव्वली रहे ,सैयद मोहम्मद जकी के पुत्र सैयद गुलाम असगर बाबरी मस्जिद के अंतिम मुतव्वली रहे सय्यद जव्वाद हुसैन के भतीजे वकार अहमद और परिवार के बूढ़े बुजुर्ग लोगों के अलावा सहनवा गांव के पूर्व उपप्रधान रहे सैयद मोहम्मद इलियास समेत अन्य लोगों का कहना है कि यदि देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच एकता और भाईचारा बनाने के उद्देश्य से अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बाहर सुन्नी वक्फ बोर्ड मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड कोई समझौता करता है तो हम सहनवा गांव में मस्जिद के निर्माण के लिए भूमि देने को तैयार हैं .