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अलवर

आत्मशुद्धि का पर्व राज दशलक्षण महोत्सव पर 10 दिन तक होंगे धार्मिक आयोजन, जैन श्रद्धालु उपवास, साधना, पूजा-अर्चना में रहेंगे व्यस्त

महापर्व का समापन अनन्त चतुर्थदशी पर 17 सितंबर को होगा सम्पन्न। जैन धर्म में इस पर्व का इंद्रियों पर काबू एवं आत्मशुद्धि के लिए विशेष महत्व है।

अलवरSep 06, 2024 / 05:43 pm

Ramkaran Katariya

कठूमर. जैन धर्मावलंबियों का मुख्य पर्व दशलक्षण भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी यानि आठ सितंबर से शुरू होगा। दस दिन तक मनाए जाने वाले इस महापर्व का समापन अनन्त चतुर्थदशी के मौके पर 17 सितंबर को सम्पन्न होगा। दशलक्षण पर्व जैन धर्म का बहुत ही धर्म व उत्तम साधना का मार्ग माना जाता है। इन दस दिनों में श्रद्धालु अपने काम धंधों, व्यापार पर सीमित ध्यान देकर उपवास, साधना, त्याग व पूजा-अर्चना और सदकर्म में रत रहते हैं।
दशलक्षण को पर्व राज भी कहा गया है। यानि जैन धर्म के सभी पर्वों में पर्युषण पर्व का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। जैन धर्म में इस पर्व का इंद्रियों पर काबू एवं आत्मशुद्धि के लिए विशेष महत्व है। पर्युषण पर्व के धर्म, उत्तम क्षमा,
उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन व ब्रह्मचर्य का पालन कर आत्मशुद्धि की जाती है।

बुरे कर्मों से उबरने का मौका मिलता है
जैन धर्म के अनुयायी दशलक्षण पर्व के दौरान व्रत एवं उपवास रखने के सथ विशेषरूप से 10 दिन लगातार एक समय भोजन, रात्रि भोजन का त्याग, तीन दिन का तेला, विभिन्न प्रकार के उपवास सहित अनेक प्रकार के धार्मिक कार्यों की अनुमोदना करते हैं । इन दिनों में जैन बंधु अनेक धार्मिक ग्रंथों का पठन कर जीवन का कल्याण करने की प्रेरणा लेते हैं। मान्यता है कि दशलक्षण पर्व में अगर श्रद्धालु इन दस व्रतों का विधिपूर्वक पालन करें तो उसका मानव जीवन परिपूर्ण हो जाता है। दशलक्षण पर्व में व्यक्ति को अपने किए बुरे कर्मों से उबरने का मौका मिलता है। ये पर्व जीओ व जीने दो की राह पर चलने को प्रेरणा देता है। पर्व के समापन के बाद सामूहिक रूप से क्षमायाचना पर्व मनाया जाता है। यह जैन धर्म का एक अनूठा पर्व है। इस पर्व के दौरान जैन श्रद्धालु साल भर की गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमायाचना करते हैं।
यह बोले समाज के लोग

श़ुध्द्धता लानी होती है

दक्षलक्षण पर्व जैन धर्म के श्रद्धालुओं को कर्मो की निर्झरा करने का अवसर देते हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं को अपने व्यक्तित्व में सहनशीलता, नम्रता, भाव की शुद्ध्ता, लोभ का त्याग, मन वचन काय की श़ुध्द्धता लानी होती है। तभी ये पर्व सार्थक होता है।
स्वरूप चंद जैन वरिष्ठ श्रद्धालु जैन समाज कठूमर।

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उत्सव की तरह मनाते हैं

दशलक्षण पर्व के दौरान अभिषेक, शांतिधारा, विशेष पूजा अर्चना, शाम को महा आरती, अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जैन धर्म के अनुयायी इन दस दिनों को उत्सव की तरह बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।
अनीता जैन महिला श्रद्धालु।

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आत्मकल्याण पर बल

दशलक्षण पर्व दस दिनों तक विभिन्न प्रकार के त्यागों की प्रेरणा देकर आत्मकल्याण पर बल देता है। इसमें धैर्य, संयम, अस्तेय यानि चोरी नहीं करना, शौच यानि बाहर व अंदर की पवित्रता, इन्द्रियों को वश में करना, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन आदि करने की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
कैलाशचंद जैन वरिष्ठ उपाध्यक्ष जैन समाज कठूमर।

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अनेक धार्मिक कार्यक्रम किए जाएंगे

दक्षलक्षण पर्व पर आर्यिकाविजितमति माताजी के सानिध्य में अनेक धार्मिक कार्यक्रम किए जाएंगे। 6 सितम्बर को रोट तीज, 9 को भगवान सुपार्श्वनाथ का गर्भ कल्याणक, 11 को भगवान पुष्पदंत का मोक्ष कल्याणक, 13, को धूप दशमी, 15 से तीन दिन का रत्नत्रय उपवास व 17 को अनंत चतुर्दशी तथा 19 सितंबर को क्षमावाणी पर्व पर रथ यात्रा निकाली जाएगी। दस दिनों में सुबह विशेष पूजा अर्चना, शांति धारा, विधान व रात्रि को महाआरती तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मुकेश सौंख अध्यक्ष जैन समाज कठूमर।

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