उन्हें न प्रतीक्षारत किया गया और न उनका तबादला किया गया। न ही यहां की सीट रिक्त थी। ऐसे में इस आदेश को लेकर सब हैरत में हैं। इस आदेश से यह भी सवाल खड़ा हो गया कि दो अधिकारियों के चलते चार्ज किसके पास रहेगा। पार्षद से लेकर तमाम लोग नेताओं से लेकर मंत्रियों को फोन कर रहे हैं। कहीं यह आदेश फर्जी तो नहीं। यदि आदेश सही हैं तो फिर सीट रिक्त दिखाना समझ से परे है। अन्य अधिकारियों की तबादला सूची में टिप्पणी दर्ज की गई है लेकिन नगर आयुक्त मनीष कुमार की तैनाती के आगे टिप्पणी में रिक्त सीट दिखाई गई है।
नगर आयुक्त जोधाराम विश्नोई की तैनाती करीब ढाई माह पहले की गई थी। बताते हैं कि उनके कार्यालय में न बैठने की शिकायतें सभापति घनश्याम गुर्जर आदि की ओर से की गई थी।प्रभावशाली लोगों की ओर से किए जा रहे अवैध निर्माण रुकवाए तो लोगों को परेशानी होने लगी। बताते हैं कि उन्होंने भी शासन स्तर पर शिकायतें भेजना शुरू कर दी। सफाई टेंडर को लेकर भी वह घिर गए थे। आखिर में टेंडर निरस्त करना पड़ा। हालांकि लिपिकों की ओर से ये खेल किया गया, जिस पर निलंबन की कार्रवाई भी हुई। बताते हैं कि इन सभी को लेते हुए तबादला किया गया है। हालांकि जोधाराम विश्नोई ने ढाई माह के कार्यकाल में करीब 800 से ज्यादा पट्टे जारी किए। वार्डों में फंसे 130 विकास कार्यों के टेंडर भी उन्होंने किए। सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए कार्य में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों को निलंबित भी किया। वहीं दूसरी ओर नगर आयुक्त जोधाराम विश्नोई का कहना है कि उनका तबादला अभी कहीं नहीं किया गया है। वह पद पर बने हुए हैं।