पहाडग़ंज में बनने वाला विद्युत शवदाह एडवांस टक्नोलॉजी से चलेगा। इसे विद्युत नहीं होने पर गैस के जरिए भी संचालित किया जा सकेगा। इलेक्ट्रिक शवदाहगृह में अंतिम संस्कार में समय भी कम लगता है। इसके निर्माण पर 59 लाख रूपए खर्च होने हैं।
शवदाहगृह के टेंडर में अभियंता ही ठेकेदार बने हुए हैं। मूल ठेकेदार खुद के काम का ठेका दूसरे ठेकेदार को नहीं दे सकता अथवा सबलेट नहीं कर सकता। अभियंता इसका फायदा उठा रहे हैं। ठेके में शर्त कुछ और है और खुद काम सबलेट करवा दिया गया। जबकि पूरे काम का ठेका गुजरात की कंपनी को दिया गया। लेकिन कंपनी पर दबाव बनाकर खुद के चहेते ठेकेदार को सिविल कार्य का ठेका सबलेट करा दिया।
अभियंताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट लीपापोती से पूरे हो रहे हैं। निर्माण कार्यों में घटिया, सीमेंट व क्रेशर डस्ट काम में ली जा रही है। बिना अभियंताओं के निरीक्षण के ठेकेदार मनमर्जी से निर्माण कर रहे हैं। न मैटेरियल क्वालिटी टेस्ट करने के लिए लैब है न अभियंता व ठेकेकदार मेटेरियल ही टेस्ट करवाना चाहते हैं।