27 हैक्टेयर भूमि पर चने की बुवाई
किशनगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र में 42 हैक्टेयर जमीन पर रबी की फसलों की जैसे चना, सरसों, गेहूं, जौ, जीरा, तारामीरा फसल की बुवाई की गई। इनमें से ज्यादातर चना और सरसों की फसलें बरानी फसलों के लिए भी बोई गई, शेष फसलों में सिंचाई के माध्यम से पिलाई की जा सकी। रबी की फसलों में ज्यादातर संख्या में चना और सरसों की बुवाई की गई है। यदि केवल चने की बात करें तो पूरे किशनगढ़ परिक्षेत्र में 27 हैक्टेयर भूमि पर चने की बुवाई की गई है।
सभी फसलों के लिए फायदेमंद
चना व सरसों इन दोनों ही फसलों के लिए किसानों को बारिश का इंतजार था। इंद्रदेव ने सही समय पर बारिश कर किसानों को राहत दी। यह बारिश चना, सरसों समेत रबी की सभी फसलों के लिए फायदेमंद साबित होगी। किशनगढ़ परिक्षेत्र में करीब एक से डेढ महीने की फसलें हो गई हैं और इन दिनों खेत हरे भरे नजर आने लगे हैं। किसान अपने खेतों में निराई गुडाई कार्य पहले ही कर चुके थे।
मायूस किसानों के चेहरों पर लौटी खुशी
बिजाई के बाद से ही पानी की कमी झेल रही रबी की फसलों की हालत दिनों दिन खस्ता होती जा रही थी। फसलों को देख किसानों के चेहरों पर भी मायूसी छाने लगी। मुरझाती फसलों को देख किसानों को कर्ज की चिंता सताने लगीं, लेकिन शुक्रवार सुबह से दोपहर तक हुई बारिश से किसानों के चेहरों पर खुशी लौट आई। बारिश के कारण गांवों के रास्ते पानी से लबालब हो गए और वहीं खेतों में भी मुरझाती फसलों में नई जान मिल गई।
करीब 1250 हैक्टेयर भूमि पर बुवाई
पाटन कृषि कार्यालय के अधीन आने वाली पाटन, बांदरसिंदरी, नलू, डींडवाड़ा, बुहारू, तिलोनिया, हरमाड़ा, त्योद समेत आठ ग्राम पंचायतों के सभी गांवों व ढ़ाणियों के समुचित कृषि क्षेत्र में से 1250 हैक्टेयर में गेहूं, 1200 हैक्टेयर में जौ, 9000 हैक्टेयर में चना, 130 हैक्टेयर में सरसों, 110 हैक्टेयर में तारामीरा, 40 हैक्टेयर में मेथी, 8 हैक्टेयर में जीरा 80 हैक्टेयर में हरा चारा व लगभग 180 हैक्टेयर में अन्य फसलें (चारा आदि) खड़ी हैं।
सब्जियों को भी मिलेगा फायदा
पूरे दिन हुई बारिश के बावजूद रबी की किसी भी फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि सब्जियों की फसलों को भी इस बारिश ने राहत दी है। किसान भागचन्द, हरदयाल, मंगलाराम व नौरतमल ने बताया कि बारिश ने किसानों और फसलों को राहत पहुंचाई है। किसान सुखराम व मनीष ने बताया कि ओलावृष्टि होने पर फसलों को नुकसान हो सकता है। इनका कहना है… रबी की फसलों को इस बारिश से खासा फायदा होगा। बरानी फसलों को इस बारिश की जरूरत थी, लेकिन यदि आने वाले दिनों मेें पाला या ओलावृष्टि होती है तो फिर फसलों को नुकसान से बचाया नहीं जा सकेगा।
राजेंद्र कुमार मीणा, सहायक कृषि अधिकारी, किशनगढ़