न्यायाधीश पिलानिया ने 18 पृष्ठीय विस्तृत फैसले में लिखा कि अनुसंधान अधिकारी नाथूलाल ने साक्ष्यों का संकलन नहीं किया। मात्र खानापूर्ति कर आरोप पत्र पेश कर प्रकरण में लापरवाही दिखाई व अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन रहा। इसी प्रकार अन्य गवाह तहसीलदार प्रीति चौहान ने भी आरोपी की शिनाख्तगी परेड की कार्यवाही में लापरवाही बरतते हुए निर्धारित प्रविष्टियों को पूर्ण नहीं किया। यह भी अपने कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही दर्शाती है।
‘अभियोजन के गवाह उदासीन रहे’अदालत ने फैसले में लिखा कि अभियोजन के दोनों गवाहों ने कर्तव्य निर्वहन में घोर लापरवाही बरती व उदासीन रहे। अनुसंधान अधिकारी नाथूलाल के लिए पुलिस महानिरीक्षक अजमेर रेंज व तहसीलदार प्रीति चौहान के लिए संभागीय आयुक्त को पत्र लिखकर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई को लिए पृथक से पत्र जारी करने के आदेश दिए।
मामले के तथ्यडा. शैलेन्द्र भारद्वाज ने पांच अप्रेल 2011 को रिपोर्ट लिखाई कि वह बेडरूम में सो रहे थे तभी रात्रि ढाई बजे उसके कमरे में पांच लोग घुस गए। इनमें से एक ने गला दबा दिया व देशी कट्टे-चाकू का भय दिखाकर उनके परिजनों के हाथ-पैर बांध दिए। लुटेरे 60 हजार रुपए नकद, मोबाइल, डायमंड की चूडि़यां, जेवर आदि लेकर कार से फरार हो गए। पुलिस ने मोहम्मद साहिन, मुनाख शिंदु शेख ,छोटू उर्फ तैय्यब, सत्तार उर्फ सत्तर गाजी के खिलाफ लूटपाट, नूर अहमद शाहजान उर्फ शाहजहां,कयूम उर्फ संजय के खिलाफ भादसं की धाराओं व विदेशी अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था। इन आरोपियों को अदालत पहले ही सजा सुना चुकी है।
इनकी जांच थी लंबितसलीम, मानिक, छोटा इंदा, बड़ा इंदा के खिलाफ मफरुरी में जांच लंबित रखी। इनमें से सलीम को अदालत ने बरी कर दिया। सलीम की पैरवी वकील शफकत उल्लाह सुल्तानी व सुनीता कंवर ने की। आरोपी सत्तार उर्फ गाजी 27 अप्रेल 2013 से फरार है।