कुलपति प्रो.दूबे ने कहा कि सूयीजी का नए शैक्षणिक सत्र से शैक्षणिक गतिविधि कलेन्डर तो बनेगा ही,लेकिन वे सांस्कृतिक गतिविधि कलेन्डर भी बनाएंगें। जिसमें विद्यार्थियों को देश के विविध प्रांतों के नृत्य, कला, संस्कृति, गीत-संगीत की जानकारी और प्रशिक्षिण देने के लिए प्रतियोगिताएं होंगीं। महापुरुषों की जयंती मनाई जाएगी। वाद-विवाद, लेखन स्पर्धाएं होंगीं। इसके लिए सांस्कृतिक काउंसिल भी बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि नए शैक्षणिक वर्ष के शुभारंभ के साथ ही विद्यार्थियों को भारतीयता, देश की संस्कृति, मानवीय मूल्यों की शिक्षा दी जाएगी। विद्यार्थियों का शारीरिक, बौद्धिक, चारित्रिक व नैतिक विकास हो इसके लिए एक सप्ताह का ओरिएंटेशन प्रोग्राम किया जाएगा। कुछ मुद्दों को कोर्स में संभव होगा तो शामिल करने का प्रयास करेंगे।
रहने और खाने-पीने की समस्या का समाधान
कुलपति ने कहा कि उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही विद्यार्थियों से उनकी समस्याओं के बारे में पूछा है। होस्टल (रहने) की और भोजन की गुणवत्ता की कुछ शिकायतें थीं, जिनका निपटारा किया है। इन्फोसिटी के पास नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ को-ऑपरेटिव मैनेजमेंट के साथ करार करके 16 कमरे लिए हैं,जिनमें छात्राओं के रहने की व्यवस्था की है। आगामी वर्ष यहां ३४ कमरे सुनिश्चित किए जाएंगे, ताकि ७४ छात्राएं रह सकें। सभी होस्टलों में भोजन की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जा रहा है। फेलोशिप भी विद्यार्थियों को हर महीने की एक तारीख को मिले इसके लिए निर्देश दिए गए हैं।
जेएनयू में हुई हिंसा की प्रो.दुबे ने निंदा की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान के मंदिर हैं। वहां हिंसा का वातावरण नहीं होना चाहिए। शिक्षण का, पठन का, चर्चा का माहौल होना चाहिए। वैचारिक और शांतिप्रिय तरीके से अपनी बात रखी जानी चाहिए। वे व्यक्तिगत रूप से मानते हैं कि शिक्षक समाज के निर्माता हैं। उन्हें विद्यार्थियों को एक जिम्मेदार नागरिक व देशभक्त बनाने पर भी और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।