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वहीं, भारतीय रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के पार्ट भारत पहुंचने लगे हैं और उन्हें पहले पश्चिम सीमा के करीब किसी एक स्थान पर तैनात किया जाएगा। ये वह इलाका होगा जहां से पाकिस्तान के साथ लगने वालीं पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं के दोनों हिस्सों के खतरों से निपटा जा सकता है।
वायु रक्षा प्रणाली के हिस्सों को पहले पश्चिमी सीमा के करीब तैनात किया जाएगा। यहां से पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं के दोनों हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन के खतरों से निपटना जा सकता है। इस एयर डिफेंस सिस्टम के लिए भारत और रूस के बीच लगभग 35000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है। सौदे के तहत 400 किमी के हवाई रेंज से निपटने के लिए भारत को पांच स्क्वाड्रान मिलेंगे। इस साल के अंत तक पहली स्क्वाड्रन की डिलीवरी पूरी होने की उम्मीद है।
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सूत्रों ने कहा कि उपकरण को समुद्री और हवाई दोनों मार्गों से भारत लाया जा रहा है। देश में पहले स्क्वाड्रान की तैनाती के बाद वायुसेना देश के भीतर अपने कर्मियों की ट्रेनिंग के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ इसकी तैनाती को लेकर पूर्वी सीमाओं पर भी ध्यान देना शुरू कर देगी। भारतीय वायु सेना के कुछ अधिकारी और कर्मी एस-400 को ऑपरेट करने के लिए रूस में ट्रेनिंग भी ली है।
यह एस-400 मिसाइल सिस्टम चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है जो दुश्मन के विवानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और AWACS विमानों को क्रमश: 400 किमी, 250 किमी, 120 किमी और 40 किमी दूर से ध्वस्त कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि रूस के साथ इस सौदे को लेकर बारगेनिंग करते हुए भारत लगभग एक अरब डॉलर कम करने में कामयाब रहा।