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भारत के लिए मुसीबत बन रहा पड़ोसी देश श्रीलंका, जानिए कैसे दोनों मुल्कों के बीच बढ़ रही दरार?

India Sri Lanka Relations: श्रीलंका में मध्यावधि चुनाव के नतीजों के रूझानों से साफ हो गया है कि राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की गठबंधन वाली NPP पार्टी इन चुनावों में जीत दर्ज कर रही है।

नई दिल्लीNov 15, 2024 / 11:59 am

Jyoti Sharma

Sri Lanka Mid Elections Results President Dissanayke make Problem For India

Sri Lanka Mid Elections Results President Dissanayke make Problem For India

India Sri Lanka Relations: भारत और श्रीलंका के बीच रिश्तों का इतिहास युगों-युगों पुराना है। लेकिन अब इस ऐतिहासिक रिश्तों पर आधुनिक सियासत भारी पड़ रही है। श्रीलंका में बीते 14 नवंबर को मध्यावधि चुनाव (Mid Elections in Sri Lanka) के लिए वोटिंग हुई थी, इसके बाद 15 नवंबर को इसके नतीजे आ रहे हैं। जिसमें श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) की पार्टी NPP (नेशनल पीपुल्स पॉवर) को जीत मिलती नजर आ रही है। अगर ऐसा होता है तो भारत के साथ श्रीलंका के रिश्तों में खटास आ सकती है, ऐसा क्यों है, इसका क्या कारण है ये हम आपको बता रहे हैं। 

कौन है राष्ट्रपति दिसानायके 

श्रीलंका में 2022 को हुए तख्तापलट के बाद इसी साल सितंबर महीने में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे। इस चुनाव में वामपंथी अनुरा कुमार दिसानायके की जीत हुई थी। इस हिसाब से पहली बार श्रीलंका को वामपंथी राष्ट्रपति मिला। अनुरा जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के नेता हैं। वो NPP की तरफ से राष्ट्रपति के उम्मीदवार घोषित हुए थे। राष्ट्रपति बनते ही अनुरा ने लोकतांत्रिक तरीके से गठित हुई तत्कालीन संसद को भंग कर दिया था और मध्यावधि चुनाव का ऐलान कर दिया था। दिसानायके की पार्टी NPP गठबंधन की तरफ से इसका कारण बताया गया था कि संसद में NPP के पास बहुमत नहीं था, उनके संसद में सिर्फ 3 ही सांसद थे, ऐसे में राष्ट्रपति के किसी भी फैसले को लागू कराने के लिए उन्हें जिस बहुमत की जरूरत होती वो उन्हें नहीं मिल पाती। इसलिए दिसानायके ने संसद को भंग कर दिया था। 

भारत के लिए कैसे मुसीबत बनेगा श्रीलंका

विश्लेषकों के मुताबिक अनुरा दिसानायके चीन के समर्थक माने जाते हैं। अनुरा वामपंथी हैं और मार्क्सवादी विचारधारा के हैं। जब श्रीलंका में 2022 को तख्तापलट हुआ था तो दिसानायके ने भारत के सैनिकों को श्रीलंका में भेजने का विरोध किया था। इसके अलावा दिसानायके जब अपनी JVP पार्टी के सिर्फ नेता भर थे, तभी उन्होंने श्रीलंका को लेकर भारत के हर एक फैसले का विरोध किया है। अब जब दिसानायके सत्ता में हैं और अब तो संसदीय चुनावों में भी उनकी पार्टी का दबदबा रहेगा तो उनके फैसले क्या होंगे और भारत के साथ उनके रिश्ते कैसे होंगे इस पर अभी से जानकार संशय जता रहे हैं। 

भारत के हर प्रोजेक्ट बंद कराने का भी किया है वादा

भारत को लेकर दिसानायके का रुख आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से ये वादा तक किया है कि वो सत्ता में आने के बाद भारत के साथ चल रहे हर एक प्रोजेक्ट को बंद करा देंगे। इसके अलावा उन्होंने अडाणी ग्रुप के खिलाफ भी बड़ी-बड़ी बयानबाजी की है। जिससे पता चलता है कि अनुरा भारत के कितने कट्टर विरोधी हैं। ऐसे में अब चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के बाद अब श्रीलंका भी भारत के लिए एक नया सिरदर्द बनता दिखाई दे रहा है। 

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