ट्रंप के जीतने से यूक्रेन को क्या नुकसान?
दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयानों से ये साफ कर दिय़ा है कि वो यूक्रेन को लेकर कड़ा रुख रखते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव से पहले ही संकेत दे दिए थे कि अगर वो चुनाव जीतते हैं तो वो यूक्रेन को अमेरिका से दी जा रही वित्तीय सहायता को रोक देंगे। क्योंकि ट्रंप ने कहा था दूसरे देशों के विवादों में बिना मतलब के अमेरिका शामिल नहीं होगा। ऐसे में यूक्रेन के लिए ये एक बड़ा झटका होगा क्योंकि अमेरिका से ही बड़ी तादाद में रूस के खिलाफ युद्ध की मदद दी जा रही थी।
रूस के लिए ट्रंप के अंदर सॉफ्ट कॉर्नर!
डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल को देखें तो उन्होंने रूस के लिए परंपरा के खिलाफ बेहद नरम रुख अपनाया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादामिर पुतिन को डोनाल्ड ट्रंप का अच्छा दोस्त तक कहा जाने लगा था। ऐसे में अगर इस कार्यकाल में भी ट्रंप का रूस को लेकर यही रुख रहा तो यूक्रेन के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। क्योंकि ट्रंप का नरम रुख पुतिन को यूक्रेन पर और आक्रमणकारी होने पर प्रोत्साहित कर सकता है।
नाटो से समर्थन वापस लिया तो और भी समस्या
डोनाल्ड ट्रंप पहले ही नाटो की भूमिका पर बड़े सवाल उठा चुके हैं। नाटो की सदस्यता को लेकर शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध की इस जड़ को ही ट्रंप खत्म कर सकते हैं। क्योकि ट्रंप नाटो को एक आर्थिक बोझ बताते हैं। ऐसे में नाटो की तरफ से रूस को रोकने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। इससे यूक्रेन और ज्यादा कमजोर हो सकता है।
यूरोप के मदद के हाथ भी हो सकते हैं पीछे
यूक्रेन को अपना समर्थन और मदद देने वाला यूरोप भी ट्रंप की वजह से अपने हाथ पीछे खींच सकता है। क्य़ोंकि अगर अमेरिका ने यूक्रेन को समर्थन नहीं दिया या फिर उसमें कटौती की तो यूरोप भी पीछे हट सकता है क्योंकि ज्यादातर यूरोपीय देश अमेरिका की ही सहारे हैं।
यूक्रेन में आ सकता है मानवीय संकट
यूक्रेन और रूस का युद्ध कब खत्म होगा ये बहुत ज्यादा अमेरिका पर निर्भर करता है। ऐसे में अगर ये युद्ध नहीं रुका तो बिना सहायता के यूक्रेन में मानवीय संकट तक आ सकता है। अगर युद्ध के बाद अमेरिका ने यूक्रेन के पुनर्निमाण में सहायता नहीं की तो यहां के हालात बद से बदतर हो सकते हैं।
जेलेंस्की ने क्या कहा?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर ज़ेलेंस्की ने उन्हें बधाई दी। उन्होंने ट्रंप से यूक्रेन के समर्थन की अपील भी की. साथ ही ट्रंप के साथ अपनी बैठक की बातें याद कर ये भी कहा कि वो ट्रंप की उस बात के समर्थन में हैं जिसमें वे ताकत के दम पर शांति लाने की बात कह रहे हैं।