कहां से आया तालिबान?
अफगानिस्तान पर अपना शासन चलाने वाला तालिबान इसी मुल्क की धरती पर पैदा हुआ। 1990 के दशक की शुरुआत में ये आतंकी संगठन अस्तित्व में आया। तालिबान शब्द का अर्थ है छात्र और ये संगठन उन धार्मिक छात्रों का समूह था, जो पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ाई कर रहे थे। छात्रों का ये समूह तब और चर्चा में आया जब अफगानिस्तान में 1979 में सोवियत संघ ने आक्रमण कर दिया। ये युद्ध सोवियत संघ और मुजाहिद्दीन के बीच लड़ा गया था। मुजाहिद्दीन को अमेरिका, पाकिस्तान, और सऊदी अरब जैसे देशों का साथ मिला। इस युद्ध में मुजाहिद्दीन की जीत हुई लेकिन इस दौरान बड़ी संख्या में अफगान शरणार्थी पाकिस्तान चले गए और वहां मदरसों में पढ़ाई करने लगे। इन्हीं लोगों ने तालिबान नाम का संगठन बनाया। इसके बाद 1994 में मुल्ला मोहम्मद उमर के नेतृत्व में तालिबान का गठन किया गया। तब इस समूह का एक लक्ष्य था अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार, अराजकता और हिंसा को खत्म करना। हालांकि तालिबान ने अफगानिस्तान में शरिया के हिसाब से शासन करने की वकालत की। 1996 में तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया और मुल्क का ज्यादातर हिस्से पर कब्जा जमा लिया।
अफगानिस्तान में अमेरिका की एंट्री
11 सितंबर 2001 को जब अमेरिका में आतंकी हमला हुआ तब तालिबान ने अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन को शरण दी। जो इन हमलों का मास्टरमाइंड था। ऐसे में अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबान सरकार को जड़ से मिटाने की कसम खाई। हालांकि अमेरिका के अफगानिस्तान में सेना भेजने के बाद भी तालिबान पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। 2021 में जब अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो के सेनाएं निकल गईं तो फिर से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।
पाकिस्तान और तालिबान में क्या कनेक्शन
तालिबान जब अस्तित्व में आया तब पाकिस्तान ने इसका समर्थन किया। पाकिस्तान ने तालिबान को हथियार से लेकर सेना, आर्थिक मदद दी ताकि अफगानिस्तान में ‘मेलजोल’ की सरकार बनाई जा सके। लेकिन 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर हमला कर लिया को उसके बाद से पाकिस्तान की कई बातों को उसने दरकिनार करना शुरू कर दिया। फिर भी पाकिस्तान ने अफगान तालिबान को समर्थन देना जारी रथा जिससे वहां पर भारत के प्रभाव को कम किया जा सके। इधर पाकिस्तान में 2007 में कई आतंकवादी गुटों ने मिलकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का गठन कर लिया। TTP एक अलग संगठन है जो पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ता है। इसको पाकिस्तान तालिबान के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन का एक ही मकसद है कि किसी तरह पाकिस्तान में इस्लाम का शासन हो जाए।
अफगानिस्तान से ट्रेनिंग लेकर पाकिस्तान में आतंक मचाता TTP
TTP को पाकिस्तान की सरकार 2008 में बैन कर दिया था। बावजूद इसके तहरीक-ए-तालिबान यानी TTP संगठन के पाकिस्तान की सेना के खिलाफ हमले तेज हो गए। ये अफगान तालिबान से जुड़ा हुआ रहता है। पाकिस्तान का आरोप है कि TTP के लड़ाके अफगानिस्तानी तालिबान से जुड़े हुए हैं और अफगानिस्तान जाकर वहां से ट्रेनिंग, हथियार लेकर आते हैं और फिर पाकिस्तान में हमले करते हैं। अफगानिस्तान में जो पाकिस्तान ने एयरस्ट्राइक की है, उसमें पाकिस्तान का यही टारगेट था कि TTP के ट्रेनिंग सेंटर्स को नष्ट किया जाए। दरअसल पाकिस्तानी तालिबान चाहता है कि पाकिस्तान में शरियत का शासन हो और वहां का जो गैर इस्लामी संविधान है उसे भी बदला जाए। इसलिए TTP पाकिस्तान की सेना पर हमले कर उसे कमजोर करने की कोशिश कर रहा है और वहां की सरकार को हटाने की कोशिश कर रहा है।