तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इन सभी दस देशों के राजदूतों को परसोना नान ग्राटा घोषित किया है यानी ये राजदूत अब तुर्की के लिए अवांछित व्यक्ति बन गए हैं और यहां किसी कीमत पर नहीं रह सकते। इन राजदूतों को दो से तीन दिन में तुर्की छोड़ना होगा।
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दरअसल, तुर्की का दावा है कि उसने यह फैसला इन राजदूतों द्वारा उसके घरेलू मामलों में दखल देने के बाद लिया है। इन राजदूतों को 48 से 72 घंटे के अंदर तुर्की की सीमा से बाहर जाना होगा। आमतौर पर कोई भी देश राजदूत को नहीं बल्कि दूसरे राजनयिकों को देश निकाला देते हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोगन ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने सामाजिक कार्यकर्ता उस्मान कवला की रिहाई का समर्थन करने वाले पश्चिमी देशों के 10 राजनयिकों को निकालने का आदेश दिया है। कवला चार साल से जेल में हैं, उन पर 2013 में देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों की फाइनेंसिंग करने का आरोप है। एर्दोगन ने यह आरोप भी लगाया है कि 2016 में तख्तापलट की कोशिश हुई, जिसे नाकाम कर दिया गया, उसके पीछे भी उस्मान कवला का ही हाथ था। हालांकि, कवला इन आरोपों से हमेशा इनकार करते रहे हैं।
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यही नहीं, बीते 18 अक्टूबर को एक संयुक्त बयान में, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, न्यूजीलैंड और अमरीका के राजदूतों ने कवला के रिहाई की मांग की थी। इन देशों ने कहा था कि कवला मामले में न्यायसंगत और त्वरित समाधान किया जाए। इसके बाद तुर्की की विदेश मंत्रालय ने इन सभी देशों के राजदूतों को तलब किया और उनके बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया था।
एर्दोगन ने उत्तर पश्चिमी तुर्की के एस्किसेहिर शहर में एक भाषण में कहा कि मैंने अपने विदेश मंत्री को आवश्यक आदेश दिया है। उनसे कहा कि इस मामले में क्या किया जाना चाहिए। इन 10 राजदूतों को एक ही बार में परसोना नान ग्राटा घोषित किया जाना चाहिए। आपको इसे तुरंत सुलझाना होगा। इससे वे तुर्की को जानेंगे और समझेंगे। जिस दिन वे तुर्की को जानना और समझना छोड़ देंगे, उन्हें यह देश छोड़ना होगा।