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दरअसल, पीएमएस हार्मोन में बदलाव की वजह से होते हैं। पीरियड्स से पहले कुछ किशोरियों में सूजन, सिरदर्द, मूड स्विंग्स के संकेत मिलते हैं। हर किसी में लक्षण भिन्न हो सकते हैं, और रक्तस्त्राव के आसपास खत्म हो जाते हैं लेकिन इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस समय उन्हें खास देखभाल के साथ बिहेवियर थैरेपी की जरूरत भी होती है।
यह समस्या पीरियड होने के 8-10 दिन पहले शुरू हो जाती है। इस समय वे किसी भी काम को करने में खुद को असमर्थ पाती हैं। ऑफिस-कॉलेज जाने का मन नहीं करता। हर समय मूड एक जैसा नहीं रहता। हल्के लक्षणों में खास परेशानी नहीं होती। इसके लक्षण कुछ ही दिनों के लिए रहते हैं और जैसे ही पीरियड आते हैं, ये अपने आप चले जाते हैं।
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PMS symptoms इसके लक्षणों को जानें
पीएमएस के समय शारीरिक लक्षणों में, ब्रेस्ट में दर्द, मीठे की क्रेविंग, ब्लोटिंग (पेट फूलना), पीएमएस क्रैम्प (दर्द), थकान, वजन बढ़ना, सिरदर्द, मुंहासे की समस्या होती है। जबकि भावनात्मक लक्षणों में एंजायटी, मन न लगना, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, सोशल न होना आदि शामिल है।
बताया जाता है कि महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होता है। यह कोई रोग नहीं है, बस आपके शरीर के अंदर होने वाले बदलावों का संकेत है। इसे आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके मैनेज कर सकती हैं।
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Create PMS Calendar पीएमएस कैलेंडर तैयार करें
प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को पहचानने के लिए एक कैलेंडर में तीन महीने तक इसके शुरू होने और खत्म होने तक का समय नोट करें। फिर जिस दिन पीरियड्स शुरू हो उसकी भी तारीख नोट कर लें। फिर आप पर पीएमएस का प्रभाव पीरियड्स शुरू होने के कितने दिन पहले शुरू होता है?, कितने दिनों तक यह रहता है और इस दौरान आप स्वयं में किस तरह के बदलाव महसूस करती हैं। इसके बारे में आपको पता चल जाएगा।
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कैसे रखें खुद का खयाल
– आहार पर ध्यान दें
आचार, चिप्स, तली-भुनी चीजें, कैफीन युक्त चीजें, चीनी, नशीले पदार्थों से दूर रहें। संतुलित भोजन खाएं। नींबू- फलों का सेवन करें।
– एक्सरसाइज करें
योग-मेडिटेशन, हल्के व्यायाम करें। वॉक करें। स्विमिंग करें। अपनी किसी हॉबी में मन लगाएं। इससे आपको
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।