पल्ली समारोह से 12 घंटे पहले से दर्शनार्थियों की भीड़ इस मंदिर में लगनी शुरू हो जाती है। मान्यता है कि महाभारत काल में युद्ध में वजय प्राप्त करने के बाद पांडव वरदायिनी माता ( Vardayini Mata Temple )
के दर्शन को आए। किवदंती है कि पांडवों ने यहां सोने की एक पल्ली बनाकर चारों दिशाओं में शोभायात्रा निकाली। उन्होंने यहां पंच बलियज्ञ किया जिसके बाद यह परंपरा शुरू हुई।
मान्यता है कि घी से वरदायिनी देवी का अभिषेक करने से कृपा बरसती है। हर साल नवरात्रि के मौके पर पल्ली समारोह का आयोजन होता है। नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। नवरात्रि की नवमी को यहां लकड़ी से बने एक रथ को पूरे गांव में घुमाया जाता है। इस रथ पर बने सांचे में पांच स्थानों पर अखंड ज्योति स्थापित की जाती है। बता दें कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की जितनी श्रद्धा होती है वो उतना ही घी वरदायिनी माता को चढ़ाते हैं।