वहीं ग्राम अमऊखेड़ी के किसान संदीप रघुवंशी ने बताया कि उनके क्षेत्र में भी सोयाबीन फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। फसल में लगी फलियां बीज से भरा चुकी थी लेकिन अब फलियों में बीज अंकुरित होने लगे। ऐसे में फसल से अब ज्यादा उम्मीद नहीं है। आसपास के गांव में भी यही स्थिति है। हर तरफ खेतों में पानी भरा है और फसल पीली पडऩे लगी है। उन्होंने बताया कि 60 से 70 दिन तक की फसल हो चुकी थी। एक पखवाड़े बाद कटाई शुरू हो जाती लेकिन लगातार बारिश से खेतों में फसल सडऩे की स्थिति बन रही है।
ग्रामीणों के मुताबिक ग्राम कागपुर, कनारी, ओलिंजा, अमऊखेड़ी, दीताखेड़ी, देवखजूरी, कोठीचार खुर्द, अंडिया, सुरईमूंडरा, हिनौतिया, गड़ला, धनियाखेड़ी, सौजना, हथियाखेड़ी, मढ़ी, हरजाखेड़ी, मोहनाखेजड़ा, अंडिया, नौघई, पीपरहूटा आदि कई गांव में फसलों की स्थिति खराब है। ग्रामीणों का कहना है कि अतिवृष्टि से काफी नुकसान हुआ। फसल से लागत निकलने की भी उम्मीद नहीं है।
फसल रकबा हैक्टेयर
सोयाबीन 443115
धान 22588
उड़द 61266
जुवार 1594
मक्का 1505
अरहर, मूंग 692
कुल रकबा 530760 4 लाख हैक्टेयर में है सोयाबीन
जि ले में इस बार सोयाबीन का रकबा बढ़कर 4 लाख 43 हजार 115 हैक्टेयर है। जबकि गत वर्ष 3 लाख 25 हजार हैक्टेयर रकबा था। इस बार किसानों ने उड़द की बोवनी में रुचि न लेकर सोयाबीन को महत्व दिया। इससे यह रकबा बढ़ा लेकिन अतिवृष्टि के कारण उनके भरोसे की यह फसल संकट में आ गई है।
-लाखनसिह मीणा, किसान नेता
-एएस चौहान, उपसंचालक, कृषि विभाग