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जंगल में अकेले काटी भयावह रात
विदिशा में करीब 18 घंटे की तलाश के बाद दूसरे दिन सुबह दो साल का मासूम निर्देश जंगल में घास पर जंगल बुक के मोगली की तरह सोता हुआ मिला है। दरअसल ग्यारसपुर तहसील के गांव पुतला हिम्मतपुर में देशराज यादव अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ घने जंगल में बने सिद्ध बाबा के स्थान पर आषाढ़ी पूजा करने गए थे। इन्हीं लोगों के साथ देशराज का दो साल का बेटा निर्देश भी था। वहीं जंगल में दाल-बाटी चूरमा बनाया और देवता को अर्पित किया गया। महिलाएं घाटी के ऊपर की ओर और पुरुष नीचे की ओर बैठकर भोजन के बाद बातें करने लगे। इसी बीच निर्देश उठकर कहीं चल दिया। परिवार के लोगों का भी ध्यान नहीं गया। महिलाएं सोचती रहीं कि पुरुषों के पास होगा, पुरुष सोचते रहे महिलाओं के पास होगा बच्चा। इसी भ्रम में सब घर भी पहुंच गए। लेकिन जब घर पहुंचने पर देशराज और उनके परिजनों को निर्देश कहीं नजर नहीं आया तो हडकंप मच गया। पुलिस को सूचना दी गई और परिवार के लोग, ग्रामीण और पुलिस शाम को ही जंगल की ओर रवाना हो गई।
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18 घंटे बाद घास पर सोता मिला ‘निर्देश’
घुप अंधेरी रात, बारिश का मौसम, चौतरफा सांय-सांय हवा और रात के घुप अंधेरे में कीड़ों और जानवरों की आवाज के सिवाय कुछ नहीं था। परिजन और ग्रामीणों सहित पुलिस भी लगातार जंगल में बढ़ती जा रही थी। लेकिन जब रात 3 बज गए और लोग थक गए तो हारकर वापस घर लौट आए। रात को ही बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी गई। लेकिन देशराज का परिवार पूरी रात सो नहीं पाया। मां का रो रोकर बुरा हाल था। सुबह फिर परिजन, ग्रामीण और पुलिस जंगल में मासूम की तलाश के लिए निकल पड़े। सिद्ध बाबा के मंदिर के आसपास का पूरा इलाका भी छान मारा। इसी बीच करीब 1 किमी दूर जंगल में घास के बीच बच्चे को सोते देखा तो ग्रामीण और पुलिस दौड़ पड़े। पास जाकर देखा, बच्चा पूरी तरह सुरक्षित था, उसे गोद में उठाया तो जैसे सबके चेहरे खुशी से चमक उठे। विदिशा एएसपी संजय साहू ने बताया कि पूरी रात जंगल में अकेले रहने के बाद मासूम बच्चा जब सुरक्षित मिला तो काफी सुखद अनुभव था। पुलिस, ग्रामीण और परिजनों ने पूरी रात उसे ढूंढा। लेकिन जब वह सुबह सुरक्षित मिला तो सबकी खुशी देखने लायक थी।
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