तगड़े सियासी दंगल की उम्मीद
हरियाणा की तरह कुश्ती के लिए मशहूर कोल्हापुर राजनीतिक दृष्टिकोण से भी एक बड़ा जिला है। यहां की 10 विधानसभा सीटों पर तगड़े सियासी दंगल की उम्मीद है। यहां कई मुद्दे हैं। पिछले डेढ़ दशक से शहर में कोई बदलाव नहीं हुआ।
चुनाव में निजी हमले, लाडकी बहन योजना और नेताओं की बयानबाजी चर्चा में है। यहां कागल विधानसभा सीट पर शरद पवार और अजीत पवार गुट के बीच कड़ी टक्कर की चर्चा खूब सुनाई देती है। वर्ष 1999 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे एनसीपी के हसन मुश्रीफ अजीत पवार गुट में चले गए। अब शरद पवार गुट उन्हें सबक सीखाने के लिए पूरा दमखम लगा रहा हैै। पिछले चुनाव में मुश्रीफ को टक्कर देने वाले भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार समरजीत घाटगे शरद पवार गुट के उम्मीदवार हैं। यहां चुनावी अखाड़े में प्रतिशोध की भावना प्रबल है। कोल्हापुर उत्तर सीट भी चर्चित है क्योंकि, पार्टी का अंतर्कलह निपटाने के लिए कांग्रेस उम्मीदवार मधुरिमा राजे छत्रपति ने अंतिम क्षणों में निर्दलीय उम्मीदवार राजेश लाटकर के समर्थन में अपना नामांकन वापस ले लिया। अब, लाटकर का मुकाबला शिवसेना शिंदे गुट के राजेश क्षीरसागर से है। एक सीट पर, शिंदे और यूबीटी गुट के बीच आमने-सामने का मुकाबला है और निजी हमले हावी हैं।
जटिल चुनावी समीकरण
महाराष्ट्र का जटिल चुनावी समीकरण कोल्हापुर में साफ दिखता है। कांग्रेस यहां 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि, एक सीट पर निर्दलीय को समर्थन दे रही है। यूबीटी शिवसेना के 3 और शरद पवार गुट के 2 उम्मीदवार मैदान में हैं। महायुति में शिंदे शिवसेना 3, अजीत पवार गुट 2 और भाजपा 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। महायुति ने यहां विनय कोरे की पार्टी जनसुराज के लिए 2 सीटें छोड़ी है और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन कर रही हैै। कोई भी किसी की जीत-हार पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
सब सत्ता के पीछे भाग रहे हैं
यहां भले ही शरद पवार गुट के दो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन, अजीत पवार के पाला बदलने से शरद पवार के प्रति लोगों के मन में सहानुभूति दिखती है। कागल विधानसभा क्षेत्र में उसे भुनाने की कोशिश भी हो रही है। दसरा चौक पर श्रीकृष्ण काले ने कहा कि, अजीत पवार ने अच्छा नहीं किया। किस पर भरोसा किया जा सकता है। सब सत्ता के पीछे भाग रहे हैं। महालक्ष्मी मंदिर में मिलीं पेशे से डॉक्टर मीना पाटिल नेे कहा कि, विकास और बदलाव की बात आती है तो भाजपा पहली पसंद बन जाती है। विचारधारा को लेकर विरोध हो सकता है लेकिन, बदलाव के लिए इतना तो सहना पड़ेगा। यहीं पर मिले चैतन्य गवली महंगाई का मुद्दा उठाते हैं तो संदीप निंबालकर कोल्हापुर शक्ति पीठ का मुद्दा सामने लाते हैं। खाऊ गली में लोगों की भीड़ है। यहां लोग राजनीति में आई गिरावट से नाखुश दिखते हैं। लाडकी बहन योजना का यहां प्रभाव दिखता है।
अलग चलती है सियासी हवा
दरअसल, कोल्हापुर के चुनावी दंगल पर पूरे प्रदेश की नजर होती है। क्योंकि, यहां सियासी हवा अलग चलती है। महाराष्ट्र की जनता जिसे चुनती है, कोल्हापुर जिले का परिणाम उसके उलट होता है।