बीजेपी ने बनारस में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी इसके बाद भी संसदीय चुनाव 2014 में 58.35 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जबकि लोकसभा चुनाव 2019 में 58.05 प्रतिशत वोटिंग हुई है। इस वोटिंग प्रतिशत को अंतिम माना जाये तो पीएम नरेन्द्र मोदी का सपना टूट जायेगा। यदि वोटिंग प्रतिशत में थोड़ी बढ़ोतरी होती है और पिछले बार का रिकॉर्ड टूट जाता है तो ही बीजेपी नेताओं को थोड़ी राहत मिल पायेगी। ईवीएम में खराबी, मतदाता सूची से नाम गायब होने से लेकर मौसम को भी कम वोटिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है लेकिन सबसे बड़ी बात है कि जिले की आठ विधानसभा सीटो पर बीजेपी व उसके गठबंधन का कब्जा है। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के एक विधायक को छोड़ दिया जाये तो बीजेपी के पास कुल सात विधायक है जिसमे अनुप्रिया पटेल के अपना दल के एक विधायक भी शामिल है इसके बाद भी पीएम मोदी का बंपर वोटिंग का सपना पूरा नहीं हो पाया। बनारस में पीएम नरेन्द्र मोदी के कैबिनेट मंत्री से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, सीएम योगी आदित्यनाथ ने कई बार दौरा किया था। बूथ मैनेजमेंट को ठीक किया गया था और कार्यकर्ताओं से बंपर वोटिंग कराने को कहा था इसके बाद भी बनारस में कम वोटिंग हुई है। २३ मई को पता चलेगा कि हार व जीत का अंतर क्या है लेकिन कम वोटिंग से बीजेपी नेताओं की परेशानी बढ़ सकती है और चुनाव परिणाम के बाद पार्टी बड़ा निर्णय भी कर सकती है।
यह भी पढ़े:-कराची में हुआ था जन्म, पहली बार बनारस में मिला इन दो बेटियों को मतदान का अधिकार पांच विधानसभा का वोटिंग प्रतिशतरोहनिया:-59.65, वाराणसी उत्तरी:-55.75, वाराणसी दक्षिणी:-58.75, वाराणसी कैंट:-54.50, सेवापुरी:-61.60
यह भी पढ़े:-विश्व के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति ने 123 साल की आयु में पहली बार किया मतदान