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वाराणसी

लॉकडाउन में छिन गई आमदनी, घर चलाने के लिए सब्जी बेचने को मजबूर हुए राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी

लॉकडाउन में गतिविधियां बंद होने के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान निचले तबके के लोगों को हो रहा है

वाराणसीMay 24, 2020 / 09:34 am

Karishma Lalwani

लॉकडाउन में छिन गई आमदनी, घर चलाने के लिए सब्जी बेचने को मजबूर हुए राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी

लॉकडाउन में छिन गई आमदनी, घर चलाने के लिए सब्जी बेचने को मजबूर हुए राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी

वाराणसी. लॉकडाउन (Lockdown) में गतिविधियां बंद होने के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान निचले तबके के लोगों को हो रहा है। ऐसा ही एक वाक्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सामने आया है। गरीबी के चलते बेबस खिलाड़ी सब्जी बेचकर अपना घर चलाने को मजबूर हैं। नैशनल फुटबालर 15 वर्षीय नेहा लॉकडाउन में सब्‍जी बेच परिवार के लिए दो समय की रोटी का इंतजाम करने में जुटी है। 8 साल की उम्र से फुटबाल को करियर बनाने वाली नेहा दो बार स्‍टेट और पांच बार यूपी टीम से नैशनल प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं। इसके अलावा पूर्व संतोष ट्रॉफी खिलाड़ी भैरव दत्त के प्रशिक्षण से वह साल 2019 के खेलो इंडिया में भी हिस्‍सा ले चुकी हैं।
नेहा ने बताया कि सामान्‍य दिनों में खेल प्रतियोगिताओं से मिलने वाले पुरस्‍कार, पिता अजय कुमार और भाइयों की मजदूरी से घर का और उसका खर्च चलता था। मगर कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते खेल गतिविधियों पर ब्रेक लग गया। साथ ही पिता और भाइयों का काम भी छिन गया। दो जून की रोटी के लिए परिचितों की मदद से ठेले का इंतजाम कर सब्जी बेचना शुरू कर दिया। नेहा ने बताया कि एक दिन में औसतन 200 रुपये तक की कमाई हो जाती है।
गोपी बेच रहा फल

अंडर-16 और अंडर-21 टीम से 2016 से लेकर 2019 तक कई नैशनल प्रतियोगिताओं में हिस्‍सा लेने वाला हॉकी खिलाड़ी गोपी सोनकर लॉकडाउन में छूट मिलने पर पांडेयपुर एरिया में अपने पिता की दुकान पर सुबह से शाम तक फल बेचते हैं। महात्‍मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र गोपी का कहना है कि शैक्षणिक के साथ ही संपूर्णानंद स्‍पोर्ट्स स्‍टेडियम पर ताला लगा होने से खेल गतिविधियां बंद हैं। परिवार के सामने आर्थिक तंगी के दौर में खाली बैठे रहने से अच्‍छा समझा कि दुकान पर बैठूं। पहली बार ऐसा करते झिझक महसूस हुई, लेकिन परिवार चलाने की जिम्‍मेदारी के आगे सब कुछ करना पड़ता है।

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