गौरतलब है कि 1990 में जब मुलायम सिंह सरकार थी तो तो उन्होंने अयोध्या में कार सेवकों पर गोलियां चलवाई थीं। अक्टूबर 1990 में मुलायम सिंह सरकार के कार्यकाल में विश्व हिंदू परिषद ने विशाल करसेवा का आयोजन किया था। तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने कार सेवकों से मस्जिद को बचाने के लिए लगभग 28000 पुलिस की तैनाती की थी। कार सेवकों द्वारा इस बैरिकेटिंग को तोड़ दिया गया था और कारसेवक बावरी मस्जिद के पास पहुंच गए। उसके बाद मुलायम सिंह सरकार ने उन पर गोली चलाने के आदेश दे दिए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 20 कारसेवकों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी।
इसके बाद हुए चुनावों में कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी और 6 दिसंबर 1992 को बावरी मस्जिद विध्वंस कर दी गई। केंद्र की नरसिम्हा सरकार ने कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त करके यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया।
बाद में हुए उपचुनावों में मुलायम सिंह यादव एक बार फिर मुख्य मंत्री बने और उन्होंने इस बार ज्ञानवापी मंदिर में व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना पर रोक लगा दी। इसके पक्ष में कानून व्यवस्था का तर्क दिया गया।
इस तरह ज्ञानवापी और अयोध्या विवाद दोनों में ही मुलायम सिंह यादव का कनेक्शन देखने को मिलता है। हालांकि वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद तहखाने को खोल दिया गया है और वहां विधिवत पूजा अर्चना कराई गई है।