1996 के चुनाव में यादव भी पूरी तरह सपा के साथ नहीं जुड़ पाये थे और मुस्लिम पूरी तरह बृजभूषण तिवारी से नाराज थे। मुसलमान कांग्रेस की उम्मीदवार मोहसिना किदवई और निर्दल सीमा मुस्तफा के पक्ष में बंटे थे। भाजपा से रामपाल सिंह और कांग्रेस के अमरमणि त्रिपाठी हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में लगभग सफल हो गये थे। समाजवादी पार्टी के लिये चुनौती काफी बड़ी थी, ऐसे में मुलायम सिंह यादव ने एक दांव खेला।
मुलायम सिंह यादव को डुमरियागंज सीट पर पार्टी की हालत खस्ता होने की जानकारी मिली तो उन्होंने रिस्क लेते हुए ईद के दिन जनसभा करने का निर्णय लिया । मई में मतदान होना था और सभा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में होनी थी। भीषण गर्मी और ईद के दिन जनसभा रखना किसी रिस्क से कम नहीं था। पार्टी के स्तर से यह संदेश दिया गया कि मुलायम सिंह मुसलमानों से बात करने आ रहे हैं। मुस्लिमों के दिल में उत्सुकता बनी रही कि आखिर मुलायम सिंह ईद के दिन ऐसा क्या कहने आ रहे हैं।
मुलायम सिंह ने ईद की बधाई देते हुए अपना भाषण शुरू किया और कहा कि मुस्लिम भाईयों मुझे सिर्फ आपके अधिकारों की लड़ाई लड़ने के कारण एक जमात मुझे मुल्ला मुलायम और मुस्लिमों की औलाद कहता है। उन्होंने कहा कि मै भी आपसे दूर रह कर आराम से राजनीति कर सकता था कि मैं आपकी मदद के लिये खड़ा रहा और बदले में मुझे गालियां मिली। मुलायम ने कहा कि माना बृजभूषण तिवारी ने आपके बीच कभी संवाद नही बनाया, मै उसके लिए माफी मांगते हुए दामन फैला कर आपसे उन्हीं के लिए वोट मांगता हूं और मेरी इज्जत आपके हाथ में है।
बृजभूषण तिवारी को 1 लाख 79 हजार 675 वोट मिले, वहीं भाजपा के रामपाल सिंह को 165752 मत ही पा सके। मुस्लिम वोटों का ऐसा ध्रुवीकरण हुआ कि राष्ट्रीय चेहरा मोहसिना किदवई और सीमा मुस्तफा अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई।