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वाराणसी

जाने मेधावी छात्र बृजेश सिंह कैसे बना माफिया डॉन, क्या है कुनबे का राजनीतिक रसूख

वाराणसी के धौरहरा गांव का एक मेधावी छात्र बृजेश सिंह अब सामान्य गृहस्थ का जीवन शुरू करने जा रहे हैं। वो बृजेश सिंह जो एक विज्ञान का विद्यार्थी रहा और अपना कैरियर उसी में खोजना चाहता था। लेकिन एक दिन बड़ा हादसा हुआ जिसमें उसके पिता की हत्या कर दी गई। पिता की हत्या के बाद बृजेश ने उसका बदला लेने की ठानी और जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। तो जानते हैं बृजेश और उसके कुनबे के सियासी रसूख के बारे में….

वाराणसीAug 05, 2022 / 08:13 pm

Ajay Chaturvedi

पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह पत्नी अन्नपूर्णा सिंह

पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह पत्नी अन्नपूर्णा सिंह

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. बृजेश सिंह, एक मेधावी छात्र, जिसने 1984 में 12वीं की परीक्षा अच्छे नंबर से उत्तीर्ण की। फिर बीएससी करने के लिए उदय प्रताप महाविद्यालय में दाखिला ले लिया। लेकिन शायद ऊपर वाले को ये मंजूर न था। 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा गांव में बृजेश के पिता रविंद्रनाथ सिंह की हत्या कर दी गई और यहीं से बृजेश सिंह के जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ और वो अंडर वर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम का खास आदमी बन गया।
बृजेश सिंह
पिता की हत्या का बदला लेने का विचार लाया जरायम की दुनिया में

पिता की हत्या के बाद बृजेश बिल्कुल बदल गया। उसका मकसद बस पिता की हत्या का बदला लेना बन गया। बृजेश सिंह के पिता की हत्या का आरोप उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी हरिहर सिंह और पांचू सिंह के साथियों पर लगा। ऐसे में किशोरवय बृजेश पिता की हत्या का बदला लेने की फिराक में जुट गया। फिर वो दिन भी आया जब 27 मई 1985 को हरिहर सिंह की हत्या हो गई। आरोप बृजेश सिंह पर लगा, तब पहली बार बृजेश सिंह पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ। इसके साथ ही बृजेश सिंह ने जरायम की दुनिया में कदम रखा।
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बृजेश सिंह और मुख्ता अंसारी
बृजेश और मोख्तार के बीच पूर्वांचल में शुरू हुआ गैंगवार

फिर पूर्वांचल में शुरू हुआ बृजेश बनाम मोख्तार का गैंगवार। तब मोख्तार अंसारी, मकनु सिंह के गैंग से जुड़ा था और बृजेश, साहिब सिंह गैंग से। कालांतर में मोख्तार और बृजेश सिंह ने अपना गैग बना लिया। पेशेवर रूप में दोनों के एक ही धंधे से जुड़े रहने के चलते दोनों के बीच व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ती गई। एक ठेके को हासिल करने के चक्कर में दोनों आमने-सामने आए। इस बीच बृजेश सिंह 90 के दशक में अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद के संपर्क में आया। बृजेश सिंह को दाउद इब्राहिम ने अपने जीजा इब्राहिम कासकर की हत्या का बदला लेने की जिम्मेदारी दी और 12 फरवरी 1992 मुंबई के जेजे अस्पताल बृजेश डॉक्टर बनकर घुसा। दाउद के जीजा को मारने वाले गवली गैंग के 4 लोगों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की। उसके बाद बृजेश सिंह दाउद के और करीब आ गया। लेकिन 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के बाद दोनों के बीच विवाद हो गया, तब बृजेश सिंह वापस पूर्वांचल और दूसरी जगहों पर अपना विस्तार किया।
बृजेश के बड़े भाई चुलबुल सिंह
बृजेश के बड़े भाई चुलबुल ने 1995 में राजनीति में कदम रखा और सफल रहे

वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र के धौरहरा गांव के मूल निवासी बृजेश सिंह के परिवार से राजनीति में सबसे पहले उनके बड़े भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह आए। वो 1995 में सेवापुरी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य चुने गए। इसके बाद वो जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। फिर वाराणसी सीट से दो बार MLC चुने गए। भाजपा से जुड़े चुलबुल सिंह ने त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों पर अपनी ऐसी पकड़ बनाई कि उन्हें इसका चाणक्य कहा जाता था। उनका घर यानी कपसेठी हाउस का अब दबदबा है। वर्ष 2018 में चुलबुल सिंह का निधन हो गया। चुलबुल सिंह की पत्नी गुलाबी देवी भी 3 बार क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनी जा चुकी हैं।
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एमएलसी चुनाव जीतने के बाद अन्नपूर्णा सिंह
बृजेश सिंह के परिवार का राजनीतिक रसूख

वाराणसी की एमएलसी सीट पर दो बार बृजेश सिंह के भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। चुलबुल सिंह के बाद बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने 2010 में बसपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। फिर पिछले चुनाव में खुद बृजेश सिंह ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत हासिल की थी। इस तरह से पिछले 24 साल से इसी परिवार का इस सीट पर कब्जा है। बाहुबली बृजेश सिंह ने जेल के भीतर से ही पत्नी के चुनाव जीतने की पूरी रणनीति तय की और उसमें वो सफल भी रहे। इस तरह बाहुबली बृजेश ने अपनी ताकत का एहसास भी करा दिया है।
बृजेश के परिवार का राजनीति में दखल रसोइया तक को मिल चुकी है जीत

बता दें कि सुशील की पत्नी किरन सिंह 2000 से 2005 तक वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। सुशील सिंह के छोटे भाई सुजीत सिंह उर्फ डॉक्टर भी वाराणसी जिला पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं। सुजीत की पत्नी इंदू सिंह तीन बार सेवापुरी ब्लाक की प्रमुख रही हैं। यही नहीं त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में बृजेश सिंह के परिवार के दबदबे का आलम ये कि पिछले साल ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में इस परिवार की रसोइया तक ब्लाक प्रमुख चुन ली गईं। सेवापुरी ब्लॉक से बृजेश सिंह के छोटे भतीजे सुजीत सिंह की पत्नी इंदू सिंह तीन बार प्रमुख चुनी गईं थीं। वर्ष 2021 में हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में सेवापुरी ब्लॉक प्रमुख का पद आरक्षित हो गया। ऐसे में कपसेठी हाउस (बृजेश सिंह के बड़े भाई चुलबुल सिंह का घर) में रसोइया का काम देखने वाली रीना कुमारी को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया और वह ब्लॉक प्रमुख चुन ली गई।
बृजेश के भतीजे बीजेपी विधायक सुशील सिंह
बृजेश-अन्नपूर्णा के भतीजे हैं बीजेपी से एमएलए

बता दें कि बाहुबली बृजेश सिंह के भतीजे और स्व चुलबुल सिंह के बड़े बेटे सुशील सिंह बीजेपी से विधायक हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2022 में सुशील सिंह ने चंदौली की सैयदराजा सीट पर दोबारा जीत हासिल की है। इस तरह उन्होंनेलगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचा है। सुशील ने अपने राजनीतिक जीवन में पांच विधानसभा चुनाव लड़ा है जिसमें केवल पहला चुनाव हारे बाकि चारों में उन्होंने जीत मिली।
एक कार्यकाल के अंतराल के बाद पुनः एमएलसी बनीं अन्नपूर्णा

वाराणसी स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य चुनाव में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस सीट से बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने पहले चक्र की गणना के बाद ही भारी अंतर से चुनाव जीत गई हैं। इसके साथ ही अन्नपूर्णा ने इस सीट पर 24 साल से चले आ रहे वर्चस्व को कायम रखा है।

पहले चक्र में अन्नपूर्णा को मिले 2058 मत
वाराणसी स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य चुनाव के लिए वोटों की गिनती मंगलवार की सुबह आठ बजे शुरू हुई। वाराणसी सीट से निर्दल प्रत्याशी बाहुबली अन्नपूर्णा सिंह ने जीत हासिल की है। बता दें कि वाराणसी, भदोही और चंदौली में बनाए गए 26 बूथों पर शनिवार को 98.525 मतदान दर्ज किया गया था। पहले चक्र की गणना यानी प्रथम वरीयता के मतों की गणना के बाद निर्दलीय अन्नपूर्णा सिंह को 2058 मत, समाजवादी पार्टी के उमेश यादव को 171 मत और बीजेपी प्रत्याशी सुदामा पटेल को 103 मत हासिल हुए हैं।
अंतिम चक्र की मत गणना के उपरांत परिणाम
उमेश यादव (सपा) – 345 मत
डॉ सुदामा पटेल (भाजपा) – 170 मत
अन्नपूर्णा सिंह (निर्दलीय)- 4234 मत
निरस्त मतपत्र – 127
कुल – 4876
निरस्त मत को हटाते हुए कुल वैद्य मत = 4749
जीत को आवश्यक कोटा = (4749/2) + 1 = 2375
अन्नपूर्णा सिंह निर्धारित कोटा से ज्यादा मत प्राप्त कर विजयी हुई। मतगणना समाप्त।
अंतिम समय में बीजेपी ने उतारा था प्रत्याशी
पिछले ढाई दशक से वाराणसी एमएलसी सीट पर बाहुबली बृजेश सिंह के परिवार का कब्जा है। 2016 के एमएलसी चुनाव में निर्दलीय बृजेश सिंह खुद मैदान में उतरे थे, जिन्हें बीजेपी का समर्थन मिला था जिसकी बदौलत उन्होंने जीत हासिल की। इस बार बीजेपी ने सुदामा पटेल पर दांव लगाया, लेकिन वाराणसी की जेल में बंद बृजेश सिंह ने अपनी पत्नी को निर्दलीय उतारकर बीजेपी को मात दे दी।

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