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वाराणसी

इंदिरा गांधी ने धार्मिक कट्टरवाद की सोच पर बने पाकिस्तान का कर दिया था बंटवारा

स्व. इंदिरा गांधी शताब्दी वर्ष समारोह संगोष्ठी।

वाराणसीJul 15, 2017 / 06:33 pm

Ajay Chaturvedi

Former Prime Minister Indira Gandhi

Former Prime Minister Indira Gandhi

वाराणसी. पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी धर्म विशेष के सांस्कृतिक- राजनीतिक वर्चस्व की जगह सर्व-धर्म समभाव के चिंतन पर खड़े राष्ट्रवाद की पक्षधर थी। यही वजह रही कि उन्होंने पाकिस्तान को खंडित कर महज धर्म-संस्कृति की नींव पर टिकी राष्ट्रनिर्माण की अवधारणा को धवस्त कर दिया। बलिदान पूर्व अंतिम भाषण में, ‘मेरे शरीर के खून का हर कतरा राष्ट्र के काम आयेगा’ की बातें उन जैसी आयरन लेडी ही कर सकती थी।राजीव गांधी स्टडी सर्कल द्वारा स्व.श्रीमती इन्दिरा गांधी के शताब्दी वर्ष के समारोह के क्रम में शनिवार को पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित संगोष्ठी में ये बातें कही गईं। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, गांधी अध्ययन पीठ के निदेशक प्रो.आरपी द्विवेदी ने कहा कि इन्दिरा जी समर्थ राष्ट्रनिर्माण की नायक थीं। सन् 2012 में 5 हजार किलोमीटर तक के मारक मिसाइल अग्नि-5 के सफल प्रक्षेपण के बाद प्रेस से बात करते हुए मिसाइलमैन डॉ. कलाम ने सफलता का असल श्रेय इन्दिरा गांधी की दूर दृष्टि को दिया था। दरअसल भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने, हरित क्रांति, बैंकों के राष्ट्रीयकरण, प्रिवी पर्स खात्मे, 1971 की जीत एवं बांग्लादेश निर्माण, सिक्किम विलय आदि इंदिरा जी के असाधारण योगदान हैं।



Rajesh


प्रदेश कांग्रेस के उपाध्याक्ष व वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ.राजेश मिश्र ने कहा कि इंदिरा गांदी बोलने में कम, करने में कहीं ज्यादा विश्वास करती थीं। जननायक के रूप में उनकी राजनीतिक संघर्ष क्षमता बेमिसाल थी।





Ajay rai


पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि सामाजिक समरसता की राजनीति और शासन की भूमिका के लिए बलिदान हो जाने वाली इंदिरा गांधी विकास विरोधी धार्मिक भावनाओं की संकीर्ण राजनीति के दौर में और ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं।



satish rai


सर्कल के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो.सतीश राय ने कहा कि हरित क्रांति और बैंक राष्ट्रीयकरण के साथ कृषि को उद्योग की दिशा में आगे बढ़ाने वाली इंदिरा गांधी के समय किसान सर्वाधिक सुखी था। डॉ. आनंद तिवारी ने कहा कि इंदिराजी गांदी ने अर्थनीति को जन अभिमुख बनाया।

इस मौके पर डॉ. क्षेमेन्द्र त्रिपाठी (बीएचयू), प्रो.एनके व्यास (बीकानेर), महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रो.एमएम वर्मा, कांग्रेस नेता अनिल श्रीवास्तव, वीसी राय आदि ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा ने की और महानगर अध्यक्ष सीताराम केसरी ने आभार जताया। अतिथियों का स्वागत राजीव गांधी स्टडी सर्कल वाराणसी समन्वयक डॉ.धर्मेन्द्र सिंह ने तथा संचालन डॉ.जेपी राय ने किया। इस मौके पर शैलेन्द्र सिंह, अनीस सोनकर, राम सुधार मिश्र आदि मौजूद रहे।


इस मौके पर इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत की 1971 की द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी सामरिक जीत के युद्ध सैनिक रहे कर्नल एसके मिश्रा को सम्मानित किया गया।



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