उन्होंने कहा कि मनुष्य जीव शांतिमय, हंसते-खेलते व सुख से बीते तो अच्छा रहता है। लेकिन आज हमारे कर्णधारों की संवेदनायें मनुष्यों के प्रति समाप्त सी हो गयी है। राजनीति अब अपने देश के लोगों के साथ कूटनीति में बदल गयी है। शासक-प्रशासकों के चरित्र अनुकरणीय नहीं रह गये हैं। आजकल अच्छी बातों को सुनने के लिए भी तैयार नहीं है। गुरुपद संभव राम जी ने कहा कि मोह से ग्रसित होकर हम अनेक प्रकार की गलती करते हैं। हम सतर्क और जागरूक होंगे। तभी हमारा सामंजस्य किसी के साथ बैठ सकता है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग के पहनावे व रहन-सहन से देख सकते है कि वह कितने भटकाव में है। दूषित मानसिकता से गांव या शहर कही पर रहे। हम सुखी नहीं रह सकते। अपने कर्मो का परिणाम दु:श में परिवर्तित होता है। सांयकाल गोष्ठी से पूर्व गुरु संभव राम जी ने अघोरेश्वर महाप्रभु की समाधि में विधि-विधान से पूजा व आरती की। हवन के बाद भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता केडी सिंह, संचालन डा.वामदेव पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन आश्रम व्यवस्थापक हरिहर यादव ने किया।