घटना की गंभीरता को देखते हुए
उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन जुलाई को तत्काल कार्रवाई करते हुए एक तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। इस पैनल की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं, जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी हेमंत राव और पूर्व आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार भी सदस्य हैं। आयोग को इस भगदड़ के पीछे किसी साजिश की संभावना की भी जांच करनी है।
इस हादसे में पुलिस ने आयोजन से जुड़े 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक आरोपी मंजू यादव फिलहाल इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर जमानत पर है। इस भगदड़ के लिए ज़िम्मेदार ठहराए गए लोगों में सबसे प्रमुख नाम भोले बाबा का है, हालांकि उनका नाम प्राथमिकी में शामिल नहीं है। बावजूद इसके, न्यायिक आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें समन जारी किया और गुरुवार को उनके बयान दर्ज किए गए।
भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने बताया कि उनके मुवक्किल ने न्यायिक आयोग के सामने ढाई घंटे तक चली पूछताछ के दौरान घटना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। वकील के अनुसार, सूरजपाल को इस कार्यक्रम में भगदड़ की किसी भी घटना की जानकारी नहीं थी और उनका इसमें कोई हाथ नहीं है। हालांकि, जांच अभी भी जारी है और आयोग को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि यह न सिर्फ़ एक धार्मिक आयोजन में हुई अव्यवस्था का परिणाम है, बल्कि इसमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई। इसने प्रदेश सरकार और प्रशासन पर भी सवाल उठाए हैं, खासकर आयोजन के दौरान सुरक्षा इंतजामों की कमी को लेकर।
जांच आयोग अब यह देखने में जुटा है कि क्या इस भगदड़ के पीछे कोई साजिश थी या यह प्रशासनिक चूक का परिणाम था। सूरजपाल का बयान इस जांच में अहम हो सकता है, क्योंकि वह इस कार्यक्रम के आयोजक थे और भगदड़ के बाद से ही उनकी भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं।
भगदड़ के बाद न्यायिक आयोग की जांच
उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना के तुरंत बाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया। भोले बाबा की भूमिका पर सवाल
आयोजन के प्रमुख सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का नाम प्राथमिकी में नहीं है, लेकिन न्यायिक आयोग की पूछताछ में उनका बयान दर्ज हुआ।
आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक आरोपी मंजू यादव को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिली। साजिश की जांच
न्यायिक आयोग अब यह जांच कर रहा है कि क्या भगदड़ के पीछे कोई साजिश थी या यह एक दुर्घटना थी।