सब्जियों के बढ़े दाम की वजह क्या है?
भारतीय किसान एवं आढ़ती वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नजमुद्दीन राइनी के अनुसार, हरी मटर की फसल को इस बार मध्य प्रदेश और पंजाब में काफी नुकसान हुआ है। जबलपुर से सीमित आपूर्ति हो रही है, जो मांग को पूरा नहीं कर पा रही है। यही कारण है कि मंडी में मटर के दाम 45 से 50 रुपये किलो हैं, जबकि फुटकर में यह 80 से 100 रुपये किलो तक बिक रही है। अन्य सब्जियों की स्थिति
हरी मटर के अलावा अन्य सब्जियों के दाम भी अपेक्षा के अनुसार कम नहीं हुए हैं। लखनऊ आलू मंडी में 13 से 15 रुपये किलो है, लेकिन फुटकर में यह 20 से 25 रुपये किलो में बिक रहा है। प्याज 10 से 20 रुपये किलो, अदरक 50 रुपये किलो और टमाटर 15 से 20 रुपये किलो के भाव में बिक रहा है।
शादियों के सीजन का प्रभाव खत्म
शादियों के सीजन में सब्जियों की मांग बढ़ने के कारण दामों में उछाल सामान्य बात है। लेकिन इस बार, सीजन खत्म होने के बाद भी सब्जियों के दाम में बड़ी गिरावट नहीं आई है। हरी मटर के मौजूदा दामों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि जनवरी के दूसरे हफ्ते तक इसकी कीमतों में मामूली गिरावट हो सकती है। मटर की खेती को हुआ नुकसान
मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में फसल खराब होने के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। जबलपुर से आने वाली मटर ही फिलहाल मंडी में उपलब्ध है, लेकिन यह मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
क्या हो सकता है आगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में बदलाव और फसल की स्थिति को देखते हुए हरी मटर के दामों में बहुत ज्यादा गिरावट की उम्मीद नहीं की जा सकती। 10 जनवरी तक दाम थोड़े कम हो सकते हैं, लेकिन यह 30 रुपये प्रति किलो से नीचे नहीं आएंगे।
मंडी और फुटकर बाजार का अंतर क्यों?
मंडी और फुटकर बाजार के दामों में बड़ा अंतर अक्सर ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और अन्य खर्चों के कारण होता है। राइनी बताते हैं कि सब्जियों की मांग जब मंडी की आवक से ज्यादा होती है, तो फुटकर बाजार में दाम अपने आप बढ़ जाते हैं।