कमल कुमार जो ओमेक्स रेजीडेंसी में रहते हैं और रेलवे के महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, ने बताया कि 6 दिसंबर को उनके पास एक अनजान नंबर से कॉल आई। फोन करने वाले ने अपना नाम राहुल सिंह बताया और कहा कि उनके मोबाइल नंबर का गलत इस्तेमाल हुआ है। शिकायत दिल्ली पुलिस को की गई है।
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जब कमल कुमार ने कहा कि वह नंबर उनका नहीं है, तो कॉल किसी गोपेश कुमार को ट्रांसफर कर दी गई। गोपेश ने खुद को दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने का इंस्पेक्टर बताते हुए कहा कि कमल कुमार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। उन्होंने केस खत्म करने के लिए डीसीपी सीबीआई नवजोत सिमी से बात करने को कहा।7 दिसंबर को एक अन्य कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी नवजोत सिमी बताया और ब्लॉकचेन सत्यापन के लिए 12 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया। डर और दबाव में आकर कमल कुमार ने दो बार में नौ लाख और तीन लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
इसके बाद कथित सीबीआई अधिकारी ने कमल कुमार से उनके निवेश की जानकारी मांगी। जालसाजों ने उनके डिमैट खाते से 90 लाख रुपये के शेयर बिकवा दिए और 40 लाख रुपये और ट्रांसफर करने को कहा। 13 दिसंबर को जब कमल कुमार बैंक पहुंचे, तो फॉर्म भरने और औपचारिकताओं में समय लग गया। 14 और 15 दिसंबर को बैंक बंद था। 16 दिसंबर को जालसाजों ने फिर संपर्क किया और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया।
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ठगी का खुलासाजब स्थिति संदिग्ध लगी, तो कमल कुमार ने अपने परिवार को जानकारी दी। इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुके हैं। सावधानी बरतें
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधी लगातार नई रणनीतियां अपनाकर भोले-भाले लोगों को शिकार बना रहे हैं, ऐसे मामलों से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतें:
.अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें।
.सरकारी एजेंसियों के नाम पर पैसे मांगने वालों से सतर्क रहें।
.किसी भी संदिग्ध कॉल की तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम थाने में शिकायत करें।
.अपने निवेश और बैंकिंग जानकारी किसी से साझा न करें।
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कहां करें शिकायत?साइबर क्राइम थाने: निकटतम साइबर पुलिस स्टेशन जाएं।
टोल-फ्री नंबर: 1930 पर शिकायत दर्ज करें।
ऑनलाइन पोर्टल: www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।