सुन, बोल नहीं पाती थी, इशारों में पढ़ाकर संवार रहे जीवन
उमरिया•Sep 06, 2020 / 10:58 pm•
ayazuddin siddiqui
Teacher changed the life of Divya Nandani
उमरिया. गुरु-शिष्य की परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है। जिस तरह जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, उसी तरह गुरु का स्थान भी कोई नहीं ले सकता। जिले के बिरसिंहपुर पाली गांव में रहने वाले ओमप्रकाश और शंकुन्तला दिव्यांग थी जो बचपन से ही बोल और सुन नहीं पाती थी। लिहाजा उसका स्कूल में दाखिला नहीं हो सका। लेकिन गांव के शिक्षक शिवकुमार ने इस बच्ची पर मेहनत करके उसकी जिंदगी बदल दी।
नंदनी के माता-पिता उसे स्कूल में नहीं भेजना चाहते थे क्योंकि वह बोल सुन नहीं पाती थी। लेकिन शिवकुमार सिंह ने उन्हें नंदनी को स्कूल भेजने के लिए मनाया। उन्होंने नंदनी पर विशेष ध्यान देते हुए उसे संकेतों में पढ़ाना शुरु किया। जिसके बाद धीरे-धीरे नंदनी भी पढऩा सीख गई। आज वह सातवीं क्लास पास कर चुकी है। विद्यालय में होने वाले सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी नंदनी बढ़चढ़ कर भाग लेती हैं।
शिक्षक शिवकुमार सिंह इस बात को बताते हुए गर्व महसूस करते है कि नंदनी भले ही बोल और सुन नहीं पाती थी. लेकिन आज वह हर विषय में दक्ष है। उसका शिक्षक होने पर मुझे आज गर्व होता है कि मैंने एक बेटी के जीवन को सवारा है।
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