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उज्जैन

EXCLUSIVE VIDEO: सिंहस्थ को लेकर क्या बोले स्वामी अवधेशानंद

मंगलवार की शाम को उज्जैन पहुंचे अवधेशानंद महाराज ने प्रभु प्रेमी शिविर का बुधवार को उद्घाटन किया। सिंहस्थ में उज्जैन आने के बाद पहली बार अवधेशानंद गिरि महाराज किसी मीडिया से मुखातिब हुए।

उज्जैनApr 20, 2016 / 09:54 pm

gaurav nauriyal

avdheshanand giri maharaj

avdheshanand giri maharaj

उज्जैन. दुनिया में विख्यात संत, जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज का पंडाल प्रभु प्रेमी शिविर की भव्यता दूर से नजर आने लगती है। अंदर पहुंचने के बाद अलग ही आध्यात्मिकता का अहसास होता है।

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मंगलवार की शाम को उज्जैन पहुंचे अवधेशानंद महाराज ने प्रभु प्रेमी शिविर का बुधवार को उद्घाटन किया। सिंहस्थ में उज्जैन आने के बाद पहली बार अवधेशानंद गिरी महाराज किसी मीडिया से मुखातिब हुए।


सवाल: मां शिप्रा को मोद्वादायिनी क्यों कहा जाता है?
जवाब: पुराणों में वर्णित है कि गंगा स्नान से पापों का हरण होता है, मां नर्मदा के दर्शन-स्नान दुख कट जाते हैं, लेकिन मां शिप्रा एक ऐसी नदी है, जिसके पावन स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए शिप्रा का महत्व अपने आप बढ़ जाती है।

सवाल: सिंहस्थ में स्नान का क्या महत्व है?
जवाब: मनुष्य के सकल सरोकार नीर से जुड़े हैंं। संकल्प, आचमन, स्नान और तर्पण सब कुछ इसी नीर से है। नीर से ही नरायण हैं। इसलिए मनुष्य नीर के सबसे निकट है। आद्य पुरुष भी नीर में ही जन्मा है। तो जब-जब हम नीर के निकट आते हैं, हमारी संवेदनाओं का परिष्कार शुरू हो जाता है। मनु़ष्यों की सकल संवेदनाए नीर से जुड़ी हैं। ऐसे में जब पर्व व परंपराओं के पोषण-रक्षण के दिवस आते हैं। तो हम नीर-नदी के के पास पहुंच जाती हैं।

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सवाल: आप कहना चाह रहे हैं कि नीर में ही अमृत है?
जवाब: बिलकुल नीर में ही अमृत समाहित है। इसलिए हम नीर से निकटता है। अर्थात मनुष्य की सकल सिद्धि की वजह नीर ही है। इसलिए हमें पर्यावरण को बचाए रखना है तो नीर से निकटता बनाए रखनी होगी।

सवाल: इसलिए आपने परमार्थ निकेतन के साथ हाथ मिलाया है?
जवाब: बिलकुल नदियों के संरक्षण, पर्यावरण को बचाना है तो हमें साथ मिलकर काम करना होगा। हमने परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद महाराज के साथ मिलकर शिप्रा के संरक्षण और पर्यावरण को बचाने का संदेश एक ही मंच से देने का निर्णय लिया है।

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