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उदयपुर

आदमखोर पैंथर का आतंक होगा खत्म, अब मादा पैंथर का सहारा ताकि दूर से खिंचा चला आए

Panther Terror in Udaipur: पिछले 13 दिन में एक के बाद एक सात जनों को अपना शिकार बनाने वाले ‘आदमखोर’ पैथर को पकड़ पाना वन विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है।

उदयपुरOct 03, 2024 / 09:29 am

Alfiya Khan

panther attack
Udaipur Panther: गोगुंदा। सरकार के लिए सिरदर्द बन चुके ‘आदमखोर’ पैंथर को पकड़ने के लिए देश के नामी शूटर शफत अली को उदयपुर भेजा गया है। हैदराबाद के शफत अली की टीम ने बुधवार को जंगल का जायजा लेने के बाद अपना मोर्चा संभाल लिया है।
उनके अलावा वन विभाग, पुलिस और आर्मी की 10 टीमों ने करीब तीन किलोमीटर के इलाके को पूरी तरह घेर रखा है। रणनीति कामयाब रही तो चौतरफा घिर चुके ‘आदमखोर’ का अब बचकर निकल पाना मुश्किल है। गोगुंदा रेंज में पिछले 13 दिन में एक के बाद एक सात जनों को अपना शिकार बनाने वाले ‘आदमखोर’ पैथर को पकड़ पाना वन विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है।
विभाग पैंथर को पकड़े इससे पहले ही वह जगह बदलकर अगले गांव में जाकर दूसरे इंसान को शिकार बना लेता है। मंगलवार सुबह केलवो का खेड़ा निवासी कमला कुवंर (55) के शिकार के बाद पैंथर को पकड़ने के लिए चौतरफा पहले सोमवार को मदार पंचायत के राठौड़ों का गुड़ा गांव में हनुमान मंदिर के पुजारी विष्णु गिरी (65) को पैथर ने मार डाला था।
इसके बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय ने पैंथर को मारने के आदेश जारी कर दिए। अब ‘आदमखोर’ किसी और मनुष्य पर हमला नहीं कर दे, इसलिए केलवो का खेड़ा व राठौड़ों का गुड़ा गांवों के करीब एक से तीन किमी इलाके में घेरा बनाया गया है। इस इलाके में 16 पिंजरे लगाए गए है।
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सर्च टीम में करीब सौ लोग है। 10 टीमों में हर टीम में शूटर शामिल हैं। इनमें वन विभाग के कर्मचारी, पुलिस, सेना के जवान और कुछ ग्रामीण शामिल है। पुलिस की टीम भी हथियारों के साथ तैनात है। वहीं ग्रामीण लाठी और अन्य बंदोबस्त के साथ सर्च के लिए सहयोग कर रहे हैं।
घना जंगल, इसलिए दिख नहीं रहा पैंथर सर्च ऑपरेशन में जुटी टीमों को केलवों का खेड़ा व राठौड़ों का गुड़ा के आस-पास के जंगल में पैंथर की मौजूदगी के संकेत तो मिल रहे हैं। लेकिन वह दिखाई नहीं दे रहा है। जंगल में लेंटाना घास व अन्य प्रजातियों के पेड़ अधिक होने से ड्रोन व फोटो ट्रैप कैमरे में भी वह नजर नहीं आ रहा।

रणनीति पर चर्चा, ऑपरेशन के लिए तय किया ठिकाना

हैदराबाद से आए शूटर नवाब शफत अली खान सुबह करीब 11.30 बजे उदयपुर पहुंचे। उन्होंने राठौडो का गुढ़ा पहुंचकर वन अधिकारियों से पैंथर को पकड़ने की रणनीति पर चर्चा की। सीसीएफ सुनील छिद्री व उप वनसंरक्षक अजय चित्तौड़ा से घटनाक्रम की जानकारी ली।
इसके बाद जंगल और पूर्व में जहां शिकार हुए उन जगहों का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने बुधवार रात को होने वाले ऑपरेशन के लिए अपना ठिकाना तय किया। इधर, बुधवार रात को जिस जगह महिला का शिकार हुआ, उसके पास ही पैंथर सर्च ऑपरेशन में तैनात कांस्टेबल प्रदीप चौधरी पर पैंथर ने लपकने का प्रयास किया। इस पर कास्टेबल ने बचाव में दो फायर किए, लेकिन निशाना चूक गया। इसके बाद पैंथर वापस औझल हो गया।

जानिए, कौन है शफत अली खान

जब कोई जानवर इंसान की जिंदगी के लिए खतरा बन जाता है या खुद जानवर की जिंदगी खतरे में आ जाती है तो सरकारें नवाब शफत अली की मदद लेती है। वह एक मान्यता प्राप्त शिकारी व ट्रैक्यूलाइजिंग एक्सपर्ट हैं।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहराइच में आदमखोर भेड़ियों से दहशत के मामले में भी इन्हें बुलाया गया था। वह हिंसक जानवरों को मारने या ट्रैक्यूलाइज करने के कई बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दे चुके हैं। वे बिहार वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य भी हैं। शफत अली का जन्म हैदराबाद में हुआ। इनके दादा और पिता भी शूटर रह चुके हैं।

पिंजरे में रखी मादा, ताकि खिंचा चला आए

‘आदमखोर’ पैंथर को पकड़ने के लिए तरह तरह के जतन किए जा रहे हैं। जहां पूरे जंगल में शिकार के साथ 16 पिंजरे लगाए गए हैं। वहीं डमी को महिला के कपड़े पहनाकर रखा है, ताकि पैंथर उसे मनुष्य समझकर हमला करे और उसी समय उसे ट्रैक्यूलाइज कर लिया जाए।
इसके अलावा सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से एक मादा पैंथर को जंगल के अंदर पिंजरे में रखा गया है, ताकि पैंथर मादा के करीब आए और उसे ट्रैप कर लिया जाए। उपवन संरक्षक अजय चित्तौड़ा और मुकेश सेनी ने केलवों का खेड़ा और राठौड़ों का गुड़ा में ग्रामीणों से सहयोग की अपील करते हुए कहा- वे सर्च ऑपरेशन पूरा होने तक घरों में रहें। अकेले बाहर नहीं निकलें। बच्चे और महिलाएं ग्रुप में ही बाहर निकलें।

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