scriptSammed Shikharji : तीर्थकरों की पावन भूमि, सम्मेद शिखर की अलौकिक यात्रा | Land of Tirthankaras A Spiritual Journey to Sammed Shikharji | Patrika News
ट्रेवल

Sammed Shikharji : तीर्थकरों की पावन भूमि, सम्मेद शिखर की अलौकिक यात्रा

Sammed Shikharji : सम्मेद शिखर, जिसे पारसनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। मान्यता है कि 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने यहीं पर मोक्ष प्राप्त किया।

नई दिल्लीJan 17, 2025 / 03:01 pm

Manoj Kumar

Land of Tirthankaras A Spiritual Journey to Sammed Shikhar

Land of Tirthankaras A Spiritual Journey to Sammed Shikhar

Sammed Shikharji : झारखंड में मधुबन स्थित पर्वत शृंखला सम्मेद शिखर (Sammed Shikharji) एक अलौकिक तीर्थस्थल के साथ-साथ विलक्षण पर्यटन स्थल भी है। सदियों से मान्यता चली आ रही है कि जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में से बीस तीर्थंकरों को सम्मेद शिखर जी में ही मोक्ष प्राप्ति हुई। पर्वतारोहण, प्राकृतिक सौन्दर्य और इन सबसे बढ़कर धार्मिक मान्यताएं इस समूचे क्षेत्र को विशेष रूप से पावन क्षेत्र बना देती हैं।

यात्रा की शुरुआत: कैसे पहुंचें?

निकटतम रेलवे स्टेशन पारसनाथ से पहुंचकर पास में ही स्थित अनेक धर्मशालाओं और अतिथिशालाओं में जैन धर्मावलम्बियों की ओर से रहने, ठहरने और भोजनादि की बेहतरीन व्यवस्थाएं की गई हैं। निकटतम हवाई अड्डा देवघर है। वहां स्थित बैद्यनाथ धाम भी प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।

Sammed Shikharji : धार्मिक महत्व: तीर्थंकरों की पावन भूमि

Sammed Shikharji
Sammed Shikharji

शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यहां स्थित है। यहां पहुंचने के पश्चात् यात्री अगले दिन पहाड़ियों की अनेक चोटियों (टुंकों) पर पहुंचने के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं करना आवश्यक है। पूरी शृंखला में अनेक चोटियों में मोक्ष प्राप्त सभी तीर्थंकरों की टुंकों पर जाकर दर्शन करने के लिये डोलियों उपलब्ध हैं। डोलियां अधिकतर स्थानीय लोगों के जरिए ही चलाई जाती हैं, किन्तु एक मानव दूसरों पर लदकर पहाड़ों पर चढ़े, यह मुझे तो निश्चित रूप से वेदनापूर्ण और काफी हद तक अमानवीय लगा, लेकिन साथ ही यह भी एक तथ्य है कि इस ‘डोली’ व्यवस्था से ही वहां हजारों स्थानीय लोगों को रोजी-रोटी मिली हुई है।

Sammed Shikharji : डोली और मोटरसाइकिल सेवाएं: सुविधा या समस्या?

तीक्ष्ण ऊंचाई वाली पहाड़ियों का कोई 27-30 किमी. का यह दुर्गम चढ़ाई-उतराई वाला मार्ग किसी सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी दुष्कर तो है ही। मार्ग में अन्य किसी प्रकार की सुविधा का भी पूरा अभाव दिखा। आजकल कुछ साहसी स्थानीय युवकों ने इन पहाड़ों पर मोटरसाइकिलों से भी लगभग आधी चढ़ाई कराने का जोखिम उठा लिया है, जो अवैधानिक भी है। सामान्य दिनों में ये डोलीवाले पांच छह हजार रुपए प्रति व्यक्ति लेते हैं और मोटरसाइकिल सवार 1500-2000 तक, लेकिन मौके का लाभ उठाकर अधिक यात्रियों के आगमन पर डोली वाले 12-13 हजार तक झटक लेते हैं। मोटरसाइकिल वाले भी मनमर्जी से पैसे वसूल करते हैं। ऐसा निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इन व्यवस्थाओं के लिए एक नियामक एजेंसी की आवश्यकता है।

Sammed Shikharji : प्राकृतिक और ऐतिहासिक आकर्षण

Land of Tirthankaras A Spiritual Journey to Sammed Shikharji
Land of Tirthankaras A Spiritual Journey to Sammed Shikharji

Sammed Shikharji : पहाड़ियों पर गौतम स्वामी जी की टुंक पर और नीचे तलहटी में भौमियां जी के मंदिर पर भी दर्शनार्थियों की भीड़ अनियंत्रित-सी रहती है। इन सभी स्थानों की व्यवस्थाओं के लिए उत्तरदायी संस्थाओं की ओर से बकायदा सिस्टम बनकर इसे सुव्यवस्थित नहीं किया गया तो भगदड़ से किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। टुंकों की यात्रा सुबह मुंह अंधेरे ही शुरू हो जाती है और उससे पूर्व यात्रा की सफलता के लिए यात्री पहले भोमियों जी महाराज के दर्शन करने जाते है और वहां जल्दी से जल्दी दर्शन करने के फेर में अफरा-तफरा मची रहती है।

हमारा दल पौष दशमी, तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के जन्मदिवस, जो गत 25 दिसंबर को था, के दिन इस पावन धरा के दर्शन करने के लिए 24 दिसंबर को वहां पहुंचा और एक ट्रस्ट की ओर से संचालित अतिथिशाला में पहुंचे, जहां पहले से ऑनलाइन बुकिंग थी। पहुंचते ही आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण करने पर हमें कमरे आवंटित कर दिए गए। कमरे निश्चित रूप से साफ-सुथरे थे, गद्दे और ऊनी कम्बल साफ-सुथरे थे। साथ में अटैच्ड ड्रेसिंग रूम, टॉयलेट और बाथरूम थे। हमें बताया गया कि सूर्यास्त से पूर्व भोजन करना आवश्यक है। तत्पश्चात् शाम को लगभग सात बजे तो ऐसा लगा मानो गहन रात हो चुकी है, लेकिन वहां से निकलकर पास ही स्थित तलहटी बाजार में और आस-पास स्थित अनेकानेक भव्य मंदिरों में खासी चहल-पहल, रौनक और उत्सवीय उत्साह से सरोबार लोगों का जमावड़ा लगा मिला।
Land of Tirthankaras A Spiritual Journey to Sammed Shikharji


सड़कें संकरी और ट्रैफिक जबरदस्त। प्रशासन की ओर से तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कोई कदम उठाए गए हों तो वे कहीं देखने में नहीं आए। पौष दशमी का अवसर होने और उस दिन मुंबई आदि स्थानों से विशेष जत्थे आ जाने के कारण जिन डोली वालों से हमारे दल के कुछ सदस्यों ने 5400 में बात पक्की की थी, वे सुबह आए ही नहीं। लोगों ने बताया कि अचानक मांग बढ़ने से सभी डोली वालों को आज 12-14 हजार तक की बुकिंग मिल रही है।
ऐसी दशा में अन्य कोई विकल्प न होने के कारण हमारे दल के सभी सदस्यों ने एक साथ रहने की दृष्टि से जोखिमपूर्ण मोटरसाइकिल सवारी का निर्णय लिया। सुबह लगभग पांच बजे रवाना होकर, विभिन्न टुंकों और मंदिरों के दर्शन कर हम लोग दोपहर वापस दो बजे नीचे तलहटी पहुंचे। यदि पैदल या डोली से जाते तो मानते है कि चार-पांच बजे से पहले तो नहीं ही आ सकते थे।

Sammed Shikharji : सावधानियां और मौसम की जानकारी


थकान से चूर यात्रियों के लिए अतिथिशाला में मालिश करने वाले लोग भी सहज ही उपलब्ध हो जाते हैं। सामान्यत: मालिश करवाकर गर्म पानी से नहा लेना अच्छा रहता है। मौसम की दृष्टि से देखा जाए तो वर्षा ऋतु समाप्त होने के बाद अक्टूबर से अप्रैल तक की अवधि यात्रा के लिए अनुकूल है। वर्षा में दुर्गम पहाड़ों पर फिसलन का डर रहता है और गर्मी में तो मानो पशु-पक्षी भी बाहर निकलने से बचते हैं।
Land of Tirthankaras A Spiritual Journey to Sammed Shikharji

इस प्रकार जीवन भर की हसरत सम्मेद शिखर जी की यात्रा करने के उपरान्त आसपास के अनेक तीर्थ क्षेत्रों बोधगया, कुंडलपुर, पावापुरी, राजगीर आदि अनेक स्थानों की यात्रा-भ्रमण का भी कार्यक्रम बनाया जा सकता है। सभी स्थानों पर रहने-खाने की निश्चित रूप से काफी अच्छी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों का भी अवलोकन किया जा सकता है। ये सभी स्थल हमारे राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक चिह्न हैं।

आधुनिक प्रबंधन की आवश्यकता

विदेशी पर्यटक देश के प्रति छवि इन्हीं स्थानों को देखकर अपने मन में बसाते हैं। इतना ही नहीं, स्वयं हम भारतवासी भी इन स्थानों को देखकर इनके बारे में पढ़-सुनकर अपने भारतीय होने पर गर्व करते है। अत: आवश्यकता है इन सभी स्थानों का समुचित प्रबंधन किया जाए। इन सभी स्थानों-शहरों में प्रवेश करते ही गंदगी के ढेरों का सामना होता है। कीचड़ और बेशुमार प्लास्टिक का कचरा देखकर तो हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। आज हम तकनीक से हर क्षेत्र में विशेष दक्षता हासिल कर रहे हैं। क्या तकनीक का उपयोग कर मूलभूत सुविधाओं को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता?
अजय टुंकलिया

Hindi News / Travel / Sammed Shikharji : तीर्थकरों की पावन भूमि, सम्मेद शिखर की अलौकिक यात्रा

ट्रेंडिंग वीडियो