राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 52 स्थित अम्बापुरा पुनर्वास कॉलोनी से बीसलपुर चौराहे तक महज 12 किलोमीटर लम्बे सडक़ मार्ग पर पहुंचने के लिए पर्यटकोंं व श्रद्धालुओं को 550 से अधिक गड्ढों को पार कर एक घंटे से अधिक का समय नष्ट करना पड़ रहा है।
चार जिलों से पहुंचते पर्यटक-
बीसलपुर बांध स्थल सहित गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर के साथ ही पवित्र दह में स्नान के लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते है, जिसमें जयपुर को छोडकऱ अजमेर, कोटा, बूंदी,भीलवाड़ा जिलों के साथ ही देवली उपखण्ड के गांव व कस्बों से बांध तक पहुंचने के लिए एक मात्र यहीं सडक़ मार्ग मुख्य है।
दो हजार से दो लाख तक पहुंचती संख्या-
बीसलपुर में बारिश के दौरान पहाड़ी क्षेत्र में गिरते झरनों, छाई हरियाली व बांध को निहारने के साथ-साथ दह के पानी में नौकायन का लुत्फ उठाने के साथ ही श्रावण मास में जलाभिषेक व हवन के लिए यहां रोजाना ही भीड़ रहती है, लेकिन रविवार व सोमवार को काफी भीड़ उमड़ती है।
इनका कहना है-
क्षतिग्रस्त सडक़ मार्ग की देखरेख की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग की है। बनास मार्ग बंद होने पर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर मुख्य मार्ग से आवागमन चालु कर दिया जाता है।
वीएस सागर अधिक्षण अभियंता बीसलपुर बांध परियोजना देवली।
बांध स्थल तक पहुंचने वाला मार्ग गड्ढ़ों में तब्दील है। इसी प्रकार बीसलपुर पुलिस चौकी क्षेत्र में बीसलपुर बांध के साथ ही गांवड़ी पंचायत के अम्बापुरा कॉलोनी तक का इलाका आता है। ऐसे में बांध के साथ ही क्षतिग्रस्त मार्ग पर होती दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी भी पुलिस को सम्भालनी होती है। बद्री लाल यादव पुलिस चौकी प्रभारी बीसलपुर।