न्यायाधीश आलोक शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश मालपुरा में कार्यरत पटवारी तथा गिरदावर के पद पर पदोन्नत हो चुके रामदास माली की ओर से एडवोकेट लक्ष्मीकांत शर्मा के जरिए दायर याचिका का निस्तारण करते हुए दिए हैं।
याचिका में बताया कि उसको जून 2019 में पटवारी से गिरदावर के पद पर राजस्व मंडल अजमेर ने पदोन्नति दे दी, लेकिन यह कहते हुए पदस्थापन नहीं किया कि उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण लम्बित है।
प्रार्थीपक्ष के वकील का तर्कथा कि आपराधिक प्रकरण लम्बित रहने के दौरान भी कई आइएएस व एआइपीएस सहित को पदोन्नति देकर पदस्थापन किया जा चुका है। जबकि याचिकाकर्ता के खिलाफ पारिवारिक प्रकरण ही लम्बित है।
वह भी गम्भीर श्रेणी का अपराध नहीं है। इस बारे में याचिकाकर्ता पूर्व में ही विभाग को शपथ पत्र दे चुका है। फिर भी उसका पदस्थापन नहीं किया गया। अदालत में अतिरिक्त महाधिवक्ता मैजर आरपी सिंह ने सरकार का पक्ष रखा।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता का दस दिवस में गिरदावर के पद पर पदस्थापन करने के राजस्व मंडल अजमेर तथा टोंक जिला कलक्टर को आदेश दिए हैं। न्यायालय की रोक के बाद शिक्षकों को मिली राहत
आवां. राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर के आदेश के बाद प्रारम्भिक से माध्यमिक शिक्षा विभाग मे सेटअप परिवर्तन कर दूरदराज में लगाए दो शिक्षकों को राहत मिली है। टोंक स्थित जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक ने इन शिक्षकों की ओर से नवीन पदस्थापन स्थान पर कार्यग्रहण नहीं करने की स्थिति में पूर्व विद्यालयों में ही कार्यग्रहण कराने के लिए सम्बधित पीईईओ को आदेश जारी किए हैं।
जानकारी अनुसार विभागीय प्रक्रिया के तहत राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सरदारपुरा में कार्यरत सुरेन्द्र सिंह नरूका को सेटअप परिवर्तन कर हिन्दी विषय के अध्यापन के लिए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मान्दोलाई लगाया गया था।
इसी प्रकार चकआनन्दपुरा के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक महावीर चन्देल को सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के रूप में राजकीय माध्यमिक विद्यालय कल्याणपुरा जाटन के लिए पदस्थापित किया गया था। दोनों शिक्षकों ने अपने निकट के स्थानों पर उनके विषय के रिक्त होने के बावजूद दूरस्थ लगाने पर न्यायालय की शरण लेने पर उसी स्थान पर रहने की राहत दी गई।