जिला मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत बौरी के ग्राम हनुमान सागर में बनी गोशाला में 100 मवेशी रखने के लिए जगह है। पिछले तीन माह के खर्च के लिए पंचायत को विभाग द्वारा 80 हजार रुपए भूसा खरीदी के लिए दिए गए थे, लेकिन यहां पर गेहूं का भूसा कम मात्रा में था, जबकि उड़द का भूसा यहां पर गायों के लिए रखा गया था। बताया जा रहा है कि सरंपच के कहने पर ही यहां पर उड़द का भूसा रखवाया गया था और यही गायों को दिया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि जब भूसा के नाम पर राशि आ रही है और आधे के लगभग ही गोवंश है तो नियमानुसार गेहूं का भूसा क्यों नहीं दिया जा रहा है। यही हाल दूसरी गोशालाओं का है। हनुमान सागर की गोशाला के पीछे मृत मिली दो गायों को लेकर भी भोजन के उचित प्रबंधन न होने की बात सामने आ रही है। वहीं पंचायत इन गायों को गोशाला के बाहर का बता रही है। मृत मिली गायों के कानों पर टैग लगे हुए है। विभाग इनकी मदद से इन गायों की पूरी जानकारी कर सकता है।
विदित हो कि हनुमान सागर में 37.84 लाख रुपए की लागत से गोशाला स्वीकृत की गई थी। इस पर सरपंच ने यहां पर गोशाला का निर्माण शुरू कराया, लेकिन यह पूर्ण नहीं हुआ, जबकि राशि पूरी निकाल ली गई। इसके बाद पंचायत चुनाव होने पर सरपंच बदल गया तो यह राज सामने आया कि गोशाला की राशि तो पूरी निकाल ली गई है। शिकायत के बाद अधिकारियों ने दबाव बनाया तो पूर्व सरपंच ने फिर से निर्माण शुरू कराया, लेकिन यह आज तक पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में यहां पर गोवंश की सुरक्षा के कोई प्रबंधन नहीं है।
रात्रि के समय सडक़ों पर घूमने वाले मवेशी बड़ी संख्या में गोशाला आ जाते है। सुबह होते ही यहां से चले जाते है। गोशाला की गाय यहीं पर रहती है। शासन से 80 हजार रुपए भूसा खरीदने के लिए मिला था। उससे भूसा खरीद लिया है। मृत गाय और बछड़ा गोशाला का नहीं है।
उमेश अहिरवार, सरपंच प्रतिनिधि ग्राम पंचायत बौरी।
डॉ. आरके जैन, उपसंचालक पशु एवं डेयरी विभाग टीकमगढ़।