scriptकौन खा रहा गायों का निवालानिर्धारित संख्या से कम गोवंश होने के बाद भी नहीं मिल रहा भूसा | Who is eating the food of the cows? Straw is not being provided even though the number of cattle is less than the prescribed number. | Patrika News
टीकमगढ़

कौन खा रहा गायों का निवालानिर्धारित संख्या से कम गोवंश होने के बाद भी नहीं मिल रहा भूसा

गायों के स्थान पर गेहूं का भूसा

टीकमगढ़Sep 22, 2024 / 08:09 pm

akhilesh lodhi

गायों के स्थान पर गेहूं का भूसा

गायों के स्थान पर गेहूं का भूसा

गोशाला के पीछे मृत मिली गायों पर लगे टैग, विभाग बोला करेंगे जांच

टीकमगढ़. गायों को सुरक्षित करने के लिए गांव-गांव में गोशाला बनाई जा रही है और उनके भोजन-पानी के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है। इसके बाद भी इन गोशालाओं में गायों का पेट नहीं भर पा रहा है। यही कारण है कि गोशालाओं में छोड़ी जा रही गाय वापस खुले में सडक़ों की ओर भाग रही है। ऐसे में इन गोशालाओं के प्रबंधन पर सवाल खड़े हो रहे है।
प्रशासन द्वारा अब तक जिले में 100 के लगभग गोशालाओं का निर्माण किया जा चुका है, लेकिन महज 37 ही संचालित हो रही है। इन गोशालाओं में प्रत्येक में 100 गोवंश रखने की व्यवस्था की गई है और उसके अनुसार ही गोसंवर्धन बोर्ड द्वारा गायों के भोजन-पानी के लिए राशि दी जा रही है, लेकिन शायद ही किसी गोशाला में 100 गोवंश रखा होगा। किसी में आधा तो कहीं इससे भी कम गोवंश गोशालाओं में देखा जा रहा है। इसे लेकर हर दिन ही ग्रामीण क्षेत्रों से शिकायतें मिल रही है, लेकिन इस पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
आधा गोवंश फिर भी भूसा नहीं
जिला मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत बौरी के ग्राम हनुमान सागर में बनी गोशाला में 100 मवेशी रखने के लिए जगह है। पिछले तीन माह के खर्च के लिए पंचायत को विभाग द्वारा 80 हजार रुपए भूसा खरीदी के लिए दिए गए थे, लेकिन यहां पर गेहूं का भूसा कम मात्रा में था, जबकि उड़द का भूसा यहां पर गायों के लिए रखा गया था। बताया जा रहा है कि सरंपच के कहने पर ही यहां पर उड़द का भूसा रखवाया गया था और यही गायों को दिया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि जब भूसा के नाम पर राशि आ रही है और आधे के लगभग ही गोवंश है तो नियमानुसार गेहूं का भूसा क्यों नहीं दिया जा रहा है। यही हाल दूसरी गोशालाओं का है। हनुमान सागर की गोशाला के पीछे मृत मिली दो गायों को लेकर भी भोजन के उचित प्रबंधन न होने की बात सामने आ रही है। वहीं पंचायत इन गायों को गोशाला के बाहर का बता रही है। मृत मिली गायों के कानों पर टैग लगे हुए है। विभाग इनकी मदद से इन गायों की पूरी जानकारी कर सकता है।
निर्माण से ही विवाद
विदित हो कि हनुमान सागर में 37.84 लाख रुपए की लागत से गोशाला स्वीकृत की गई थी। इस पर सरपंच ने यहां पर गोशाला का निर्माण शुरू कराया, लेकिन यह पूर्ण नहीं हुआ, जबकि राशि पूरी निकाल ली गई। इसके बाद पंचायत चुनाव होने पर सरपंच बदल गया तो यह राज सामने आया कि गोशाला की राशि तो पूरी निकाल ली गई है। शिकायत के बाद अधिकारियों ने दबाव बनाया तो पूर्व सरपंच ने फिर से निर्माण शुरू कराया, लेकिन यह आज तक पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में यहां पर गोवंश की सुरक्षा के कोई प्रबंधन नहीं है।
कहते है जिम्मेदार
रात्रि के समय सडक़ों पर घूमने वाले मवेशी बड़ी संख्या में गोशाला आ जाते है। सुबह होते ही यहां से चले जाते है। गोशाला की गाय यहीं पर रहती है। शासन से 80 हजार रुपए भूसा खरीदने के लिए मिला था। उससे भूसा खरीद लिया है। मृत गाय और बछड़ा गोशाला का नहीं है।
उमेश अहिरवार, सरपंच प्रतिनिधि ग्राम पंचायत बौरी।
उड़द के भूसे से गाय और बछड़े की मौत नहीं हुई। उसका कारण कुछ और है। हर समय पर जानवरों को उड़द के भूसे के साथ अन्य फसलों का भूसा खिलाते है। इसकी जांच की जा रही है। मृत जानवरों को दफनाने के निर्देश दिए है।
डॉ. आरके जैन, उपसंचालक पशु एवं डेयरी विभाग टीकमगढ़।

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