दरअसल, यह प्रथा लोहिया समाज में 400 सालों पहले से चली आ रही है। समाज में बड़े बेटे का कर्णछेदन शादी समारोह की तरह धूमधाम से मनाया जाता है। बताया जा रहा है कि प्रकाश अग्रवाल के बड़े पोते राघव अग्रवाल का कर्णछेदन संस्कार गुरुवार को हुआ था। शुक्रवार को समाज की वर्षों पुरानी प्रथा के अनुसार बारात बकरे पर निकाली गई। जिसमें परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार शामिल हुए थे।
पूर्वजों के जमाने से चली आ रही परंपरा
प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि यह परंपरा दादा-परदादा के जमाने से चली आ रही है। बकरे पर दूल्हे को बैठाकर सात जगहों से बारात निकाली जाती है। जिसमें खुद के घर, मंदिर का दरवाजा, कुल देवता का दरवाजा और मोहल्ले के घरों को शामिल किया जाता है।