जिले के पलेरा, जतारा, निवाड़ी, बड़ागांव धसान के साथ अन्य जिलों की ओर जाने वाली ९५ फीसदी बसों में पैनिक बटन नहीं है। अधिकांश बस चालक और परिचालकों को पता तक नहीं है कि पैनिक बटन सिस्टम क्या है। जबकि उन्हें जीपीएस सिस्टम की जानकारी है। फिर भी सरपट दौड़ रही है। एक बुजुर्ग वाहन चालक ने बताया कि पैनिक बटन यात्रियों की सुरक्षा करने वाला सिस्टम है और सर्वर से जुडा रहता है। जिसकी घटना दुर्घटना संबंधित विभाग के पास पहुंचती है।
बसों में महिला सुरक्षा को लेकर रोडवेज और निजी बसों के साथ यात्री वाहनों में पैनिक बटन और जीपीएस सिस्टम लगाने के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन नई बसों को छोड़ पुरानी यात्री बसों में लगवाने का प्रयास नहीं किया गया। जबकि बगैर पैनिक बटन के परमिट जारी नहीं किया जाता है।
बस का संचालन करते समय कोई घटना घटित होती है या होने वाली है तो पैनिक बटन से संबंधित को संकेत मिल जाते है। जैसे पैनिट बटन को दबाने पर बस का सटीक स्थान निर्देशांक वाला अलर्ट संदेश नियंत्रण केंद्र को भेजा जाता है। उसके तीन सेकंड तक दबाया जा सकता है। यह बटन लगाने उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में तत्कान सहायता मिलना। यह बठन लगाने से महिलाओं को मद्द मिलती है। इसके बगैर परमिट नहीं मिलता है। यह सिस्टम सर्वर से जुड़ा रहता है। जिसमें पुलिस विभाग की नजर भी बनी रहती है।
कुछ बसों में पैनिक बटन लगे है। बस ड्राइवर इतने शिक्षित नहीं है, इस कारण से उन्हें पैनिट बटन के बारे में जानकारी नहीं है। इसके माध्यम से संबंधित को जानकारी जाती है और उससे यात्रियों की सुरक्षा की जाती है। इसके लिए जल्द ही जागरूक शिविर लगाया जाएगा।
प्रदुम्न सिंह सोलंकी, अध्यक्ष बस ऑपरेटर टीकमगढ़।