जिला अस्पताल में नवजात बच्चों के लिए वर्ष 2011 में 20 बेड का एसएनसीयू वार्ड बनाया गया था। पिछले 13 सालों में जिले की आबादी बढऩे के साथ ही इस एनएससीयू पर भी बच्चों का लोड बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पिछले कुछ सालों से लगातार एक बेड पर दो-दो बच्चों को भर्ती किया जा रहा है। कई बार तो स्थिति तीन तक पहुंच जाती है। विशेषज्ञों की माने तो यह स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में जहां बच्चों के उपचार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो इसकी मशीनरी पर लोड भी बढ़ता है। ऐसे में घटनाओं की संभावना भी बनी रहती है।
जिले के साथ ही यूपी का भी लोड विदित हो कि जिला अस्पताल के एसएनसीयू पर केवल जिले का ही नहीं, बल्कि सीमा से लगे यूपी के बानपुर, महरौनी, मड़ावरा के साथ ही छतरपुर जिले के घुवारा और सागर जिले के शाहगढ़ क्षेत्र तक के बच्चों का लोड बना हुआ है। ऐसे में यहां की स्थिति ङ्क्षचताजनक बनी हुई है। इसके लिए अब यहां पर बेड बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है। विदित हो कि जिला अस्पताल में बने 100 बेड वार्ड में 20 बेड के एसएनसीयू की व्यवस्था है, लेकिन इसे चालू नहीं किया जा रहा है। यदि इसे चालू कर दिया जाता है तो बहुत कुछ बोझ कम किया जा सकता है।
विशेषज्ञ बोले- इन्फेक्शन का खतरा &एसएनसीयू के एक बेड पर एक बच्चे का उपचार करने का आदर्श नियम है। एक बेड पर दो-दो बच्चे होने से एक-दूसरे को इन्फेक्शन का खतरा रहता है। कई बार सामान्य बच्चे के साथ गंभीर बीमार बच्चे के भर्ती होने से दूसरे बच्चे को खतरा रहा है। इससे बच्चों को स्वस्थ्य होने में ज्यादा समय लगता है। समय के साथ इसका उन्नयन होना जरूरी है। जिला अस्पताल पर वैसे ही जिले के साथ ही सीमावर्ती जिलों के बच्चों का बोझ बना हुआ है। अस्पताल में लगातार नए भवन बन रहे हैं। ऐसे में इनमें वार्मर की व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप यहां पर बेड के साथ ही स्टॉफ को बढ़ाया जाना चाहिए।
– डॉ. सुनीत जैन, शिशु रोग विशेषज्ञ एवं सेवा निवृत्त सिविल सर्जन। क्या कहते हैं अधिकारी 100 बेड के भवन के लोकार्पण के बाद यहां के एसएनसीयू वार्ड को शुरू कर दिया जाएगा। बच्चों के बेहतर उपचार के लिए बेड बढ़ाने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जल्द ही इसके लिए व्यवस्थाएं की जाएंगी। – डॉ. अमित शुक्ला, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल टीकमगढ़।