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टीकमगढ़

केन-बेतवा िलंकपरियोजना: अभी नहीं हुए प्रयास तो प्यासा रह जाएगा जिला

टीकमगढ़. देश की पहली नदी जोड़ों परियोजना के लिए जिले में सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना से टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले का आधे से अधिक भाग को कोई लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, जबकि सरकार इस योजना के बाद से जिले को पानीदार होने की बात कह रही है। विदित हो कि जिले में ङ्क्षसचाई के साथ ही पेयजल के लिए आज भी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है। इसके बाद भी जिम्मेदार इसके लिए प्रयास करते नहीं दिखाई दे रहे हैं।

टीकमगढ़Nov 04, 2024 / 07:49 pm

Pramod Gour

टीकमगढ़. जिले में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित महेंद्र सागर तालाब।

टीकमगढ़. जिले में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित महेंद्र सागर तालाब।

योजना से नहीं मिल रहा आधे से अधिक जिले को लाभ, विभाग का नहीं ध्यान

टीकमगढ़. देश की पहली नदी जोड़ों परियोजना के लिए जिले में सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना से टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले का आधे से अधिक भाग को कोई लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, जबकि सरकार इस योजना के बाद से जिले को पानीदार होने की बात कह रही है। विदित हो कि जिले में ङ्क्षसचाई के साथ ही पेयजल के लिए आज भी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है। इसके बाद भी जिम्मेदार इसके लिए प्रयास करते नहीं दिखाई दे रहे हैं।
जिले में ङ्क्षसचाई और पेयजल के लिए पानी की समस्या किसी से छिपी नहीं है। आलम यह है कि इस बार तेज गर्मी के चलते बरीघाट का पानी सूख जाने पर शासन को यूपी से पानी के लिए मिन्नत करनी पड़ी थी तो यूपी सरकार ने भी साफ कर दिया था कि वह आखिरी बार पानी दे रहे हैं और आप अपने यहां पर जल संग्रहण के लिए पर्याप्त व्यवस्था करें।
वहीं ङ्क्षसचाई के लिए पानी की परेशानी किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में पिछले पांच सालों से चल रही केन-बेतवा ङ्क्षलक परियोजना की कवायद के बाद लग रहा था कि इस योजना के बाद से जिले का हर तालाब जहां पानीदार हो जाएगा तो पेयजल के लिए भी पानी की कोई कमी नहीं रहेगी, लेकिन जैसे-जैसे परियोजना सामने आते जा रही है, उससे साफ हो रहा है कि जिले को इससे कोई खास लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है।
इस परियोजना से केवल जतारा विधानसभा के 132 गावों को पानी मिल रहा है तो निवाड़ी जिले की निवाड़ी विधानसभा को इसका पर्याप्त लाभ मिलने जा रहा है। इस परियोजना से दोनों जिलों की मात्र 80 हजार हैक्टेयर जमीन ङ्क्षसचित होने की बात कही जा रही है। इस योजना से टीकमगढ़, बल्देवगढ़, मोहनगढ़, लिधौरा, पृथ्वीपुर तहसीलों में कोई लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है। इसके बाद भी विभाग इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
जोड़े जाएं यह तालाब

जिले में परियोजना के लिए काम करने वाले कुछ अधिकारियों की माने तो इस परियोजना से यदि टीकमगढ़ का महेंद्र सागर तालाब, पृथ्वीपुर का ग्वाल सागर और पृथ्वीपुर का वीर सागर तालाब जुड़ जाता है तो दूसरे तालाबों तक पानी पहुंचाने में मदद मिलेगी। टीकमगढ़ का महेंद्र सागर और बल्देवगढ़ का ग्वाल सागर तालाब जिले के सबसे ऊंचे प्वाइंट पर निर्मित तालाब है। महेंद्र सागर और ग्वाल सागर तालाब में पानी पहुंचने पर इस क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक तालाब भरे जा सकते है। ऐसे में कम से कम 30 हजार हैक्टेयर अतिरिक्त जमीन ङ्क्षसचित हो सकेगी और पेयजल के लिए पानी उपलब्ध होगा। ऐसे में इसके लिए प्रयास होने जरूरी है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार

इसके लिए पूर्व में प्रयास न होने से यह परेशानी सामने आई है। इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और विधानसभा में भी चर्चा की गई थी। केन-बेतवा ङ्क्षलक परियोजना से पृथ्वीपुर के अन्य तालाबों को जोडऩे के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है और इसे जुड़वाया जाएगा।
– नितेंद्रङ्क्षसह राठौर, विधायक, पृथ्वीपुर।

इस मामले को हम विधानसभा में उठा चुके हैं। इस योजना सबसे अधिक लाभ यूपी को मिलेगा। इससे जिले को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। जिले में पानी पहुंचाने के लिए बड़ागांव के ककरवाहा के पास बांध बनाया जाना जरूरी है। केन-बेतवा ङ्क्षलक से क्षेत्र के तालाबों को जोडऩे के लिए मुख्यमंत्री से मांग की जाएगी, ताकि इसका भी लाभ मिले।
– यादवेंद्र ङ्क्षसह बुंदेला, विधायक, टीकमगढ़।

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