दोपहर १:२० बजे दूसरे शहर और ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाली यात्री बसों में बैठाने के लिए आवाज लगाई जा रही थी। ऐसी लगभग १० से अधिक यात्री बसों को देखा, जिसमें चालक और परिचालक बगैर ड्रेस के दिखाई दिए। ड्रेस नहीं पहनने से चालक परिचालकों की पहचान भी नहीं हो पा रही थी।
दोपहर१:२४ बजे जतारा, मऊरानीपुर,छतरपुर जाने वाली बसों के बाहर और अंदर देखा तो उसमें बसों के परमिट, किराया सूची, हेल्पलाइन नंबर दिखाई नहीं दिए। जिम्मदारों की लापरवाही के कारण बस चालक नियमों का पालन भी नहीं कर रहे है। लापरवाही बड़ा हादसे का कारण बन सकती है। सागर जाने वाले यात्री महेश कुशवाहा और झांसी जाने वाले यात्री घंसू रैकवार ने बताया कि बाइक खराब हो गई है। इस कारण से बस में जा रहे है। किराया सूची भी नहीं है। इस कारण से किराया की जानकारी नहीं मिल रही है।
जिले की ८० फीसदी बसों में पैनिक बटन नहीं है। अधिकांश बस चालक और परिचालकों को पता तक नहीं है कि पैनिक बटन सिस्टम क्या है। एक बुजुर्ग वाहन चालक ने बताया कि पैनिक बटन यात्रियों की सुरक्षा करने वाला सिस्टम है और सर्वर से जुडा रहता है। जिसकी घटना दुर्घटना संबंधित विभाग के पास पहुंचती है। इसके लिए पैनिक बटन और जीपीएस सिस्टम लगाने के आदेश २०१९ में शासन ने जारी किए थे और बगैर पैनिक बटन के परमिट जारी नहीं होता है।