भारतीय उपमहाद्वीप में कई चक्रवाती तूफान आ चुके हैं। जिनसे जान-माल का नुकसान भी हुआ है, लेकिन सबसे अधिक तबाही 1970 में आए ‘भोला’ चक्रवात (bhola cyclone) ने मचाई थी। ‘भोला’ (bhola cyclone) को सबसे अधिक घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवात माना जाता है। इसकी गिनती दुनिया की विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में होती है। हालांकि इससे भी अधिक ताकतवर 1991 में बांग्लादेश चक्रवात था। (cyclone) जिसमें हवा की गति 260 कि.मी. प्रति घंटा थी, जो भोला की गति 185-240 से अधिक थी, लेकिन तबाही भोला से अधिक हुई। क्योंकि उस समय पूर्व सूचना तकनीक उतनी बेहतर नहीं थी।
भोला से आधुनिक बांग्लादेश (तब के पूर्वी पाकिस्तान) व भारत में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ था। एक अनुमान के मुताबिक, इस चक्रवाती तूफान (bhola cyclone) से 5 लाख लोगों को जान गंवाई पड़ी थी, वहीं करीब 36 लाख लोग प्रभावित हुए थे।
0 10 मीटर तक उंची उठी थी लहरें : 13 नवम्बर 1970 को बांग्लादेश के समुद्री तट पर 10 मीटर तक ऊंची लहरें उठी। उच्च ज्वार के साथ चक्रवाती तूफान गंगा के डेल्टा में भोला द्वीप के पास जमीन से टकराया था। हवा की गति 185-240 कि.मी प्रति घंटा हो गई थी। जिसके चलते कई तटीय द्वीप तबाह हो गए, कई गांवों के निशान तक मिट गए।
बांग्लादेश, भारत के पश्चिमी बंगाल, असम व अंदमान-निकोबार द्वीप समूह में तूफानी बारिश के चलते फसलें तहस-नहस हो गई। बाढ़ में कई घर मलबे के ढेर में बदल गए। बांग्लादेश के अकेले ताजमुद्दीन तहसील क्षेत्र में 1.67 लाख लोग मारे गए। भोला से उत्तर पूर्व की ओर अगरतला पहुंच कर चक्रवात (bhola cyclone) कमजोर पड़ा था।
0 कोलकाता से कुवैत के लिए निकला जहाज डूबा : चक्रवात (bhola cyclone) के दौरान कोलकाता (तब के कलकत्ता) से कुवैत जाने के लिए निकला जहाज 12 नवंबर को समुद्र में डूब गया था। जहाज पर सवार सभी 50 लोग मारे गए थे। जहाज ने एक संकट संकेत भेजा था। जिसमें डूबने से पहले तूफानी हवाएं महसूस करने की सूचना थी।
सबसे अधिक नुकसान दोनों देशों के मछुआरों को उठाना पड़ा। नौ हजार से अधिक नौकाएं नष्ट हो गई, 46 हजार मछुआरे मारे गए। तटीय गांवों के लगभग 85 फीसदी घर नष्ट हो गए या गंभीर क्षतिग्रस्त हो गए थे। चटगांव और मोंगला बंदरगाहों में कई जहाज क्षतिग्रस्त हो गए। चटगांव और कॉक्स बाज़ार के हवाईअड्डों पर एक मीटर तक पानी भर गया था।
—