कोरोनाकाल से पहले मनरेगा के सिफज़् तीन हजार श्रमिक थे। लेकिन जैसे जैसे कोरोना की दूसरी लहर थमी तो श्रमिकों की यह भी एकाएक बढऩे लगी। सूरतगढ़ और घड़साना एरिया में मनरेगा कायज़् की रफ्तार कम होने के कारण श्रमिकों की संख्या सवा लाख तक पहुंच सकती थी।
पूरे प्रदेश के 33 जिलों में कुल 11 हजार 349 में से 10 हजार 256 ग्राम पंचायतों में कुल 23 लाख 82 हजार 665 श्रमिक कायज़्रत है। जिले में सबसे ज्यादा मनरेगा श्रमिक रायसिंहनगर पंचायत समिति में है।
यहां 47 ग्राम पंचायतें है, इसमें 14 हजार 747 श्रमिक कायज़्रत है। इसी तरह श्रीगंगानगर की 53 ग्राम पंचायतों में 14 हजार 531 श्रमिकों को काम मिला हुआ है। सबसे ज्यादा कम सादुलशहर पंचायत समिति में है। यहां 28 ग्राम पंचायतों में है।
इसमें सिफज़् 8 हजार 498 श्रमिकों को काम दिया गया है। मनरेगा श्रमिकों के आंकड़ों के अनुसार घड़साना की 36 ग्राम पंचायतों में 13835 श्रमिक है। अनूपगढ़ की 32 ग्राम पंचायतों में 13551 श्रमिक, पदमपुर की 36 ग्राम पंचायतों में 12056 श्रमिक, श्रीकरणपुर की 35 ग्राम पंचायतों में 11649 श्रमिक, सूरतगढ़ की 49 ग्राम पंचायतों में 11421 श्रमिक कायज़्रत है।
वहीं श्रीविजयनगर की 29 ग्राम पंचायतों में 10944 श्रमिक काम कर रहे है। जिले में कुल श्रमिकों की संख्या एक लाख 11 हजार 232 है।