दोनों पक्ष अपनी अपनी जिद्द को छोडऩे के लिए आखिरकार राजी हो गए। इन दोनों पक्षों की आपसी सहमति से एसडीएम ने निर्णय देने में देर नहीं की और गुरुवार को अपनी मुहर लगा दी। कोर्ट परिसर में दोनेां पक्ष इस कदर उत्साहित नजर आए कि एसडीएम को मुंह मीठा कराने से नहीं चूके। वहां दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के अलावा संबंधित दोनों पक्षकार एक दूसरे को बधाई देते हुए कोर्ट से बाहर निकले।
चेहरे पर लंबे समय के बाद दोनों पक्ष इस परेशानी से निपटने से खुश नजर आए। एक दूसरे को गले मिलकर भविष्य में पारिवारिक रिश्ते को बनाए रखने का संकल्प भी लिया। परिवादी की पैरवी कर रहे अधिवक्ता मोहनलाल माहर ने जानकारी देते हुए बताया कि महियांवाली निवासी जेठाराम कासनियां की पत्नी जमनादेवी के नाम से 35 बीघा कृषि भूमि थी। इस भूमि के मालिकाना हक के लिए उसके बेटे ठाकरराम कासनियां ने एसडीएम कोर्ट में 26 नवम्बर 1989 में परिवाद पेश किया था।
इसके विरोध में महियांवाली निवासी जगदीश पुत्र श्योकरण ने दावा किया कि उसे गोद लेने के कारण वह इस संपति का हकदार और उत्तराधिकारी है। इन दोनों पक्षों में विवाद लगातार बढ़ता गया और कानूनी जंग में 39 साल बीत गए। इन दोनों पक्षों के 21 सदस्य कोर्ट में हर पेशी पर आने को मजबूर थे।
इस निर्णय में एक पक्ष को दस बीघा और दूसरे पक्ष को 25 बीघा भूमि का मालिकाना हक दिया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता रामप्रकाश गुप्ता ने बताया कि आपसी सुलह कराने में दोनों पक्षों के आपसी रिश्तेदारों ने सहयोग किया तो एसडीएम स्वामी ने निर्णय करने में समय नहीं लगाया।