मसले के समाधान की मांग को लेकर राजस्थान और पंजाब के जागरूक लोगों के एक संयुक्त शिष्टमण्डल ने श्रीगंगानगर के सांसद निहालचंद मेघवाल और जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा की अगुवाई में गुरुवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री gajendra singh shekhawat से मुलाकात की। शिष्टमण्डल में शामिल पंजाब के इंजीनियर जसकीरत सिंह और कपिलदेव ने केन्द्रीय मंत्री को विस्तारपूर्वक और सिलसिलेवार इस समस्या से अवगत कराया।
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गजेन्द्र सिंह शेखावत बोले- सारी समस्या का पता है
उन्होंने बताया कि जालंधर और लुधियाना सहित पंजाब के अनेक शहरों के कारखानों का रसायनयुक्त पानी, शहरों के अपशिष्ट पदार्थ-गंदगी, सीवरेज व सेम नालों-ड्रेनेज के जरिए सतलुज एवं व्यास नदियों में बहाया जा रहा है। इन्हीं नदियों का पानी फिरोजपुर हैड पर इन्दिरा गांधी नहर तथा फिरोजपुर फीडर नहरों के जरिए पश्चिमी राजस्थान में पहुंच रहा है। शिष्टमंडल की दोपहर को केन्द्रीय मंत्री से काफी लम्बी वार्ता हुई। शेखावत ने वार्ता के दौरान कहा कि उन्हें इस सारी समस्या का पता है। उनके इलाके के लोग भी इस प्रदूषित पानी से प्रभावित हैं। श्रीगंगानगर जिले में उनकी कृषि भूमि है। लगभग 20 वर्षाें से वे इस समस्या को अच्छी तरह से समझते हैं। उन्होंने शिष्टमण्डल में शामिल सभी लोगों की राय और सुझाव जानने के बाद अपने मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत की।
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इस फोर्स में शामिल अधिकारियों एवं विशेषज्ञ पंजाब व राजस्थान में जाकर पूरी समस्या का अध्ययन करेंगे। इसके समाधान के सुझाव वाली रिपोर्ट केन्द्रीय मंत्री को सौंपेंगे। इसके बाद उस पर कार्यवाही की जाएगी। शिष्टमण्डल ने केन्द्रीय मंत्री से आग्रह किया कि वे एक बार खुद पंजाब में बुड्डा नाला सहित उन सभी नालों, ड्रेनेज और सीवरेज का अवलोकन करेें, जिनका गंदा पानी दरियाओं-नहरों के जरिए राजस्थान में आ रहा है। शेखावत ने कहा कि संसद का मौजूदा सत्र समाप्त होने के बाद वे इसका अवलोकन करने का कार्यक्रम बनाएंगे। उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान में सबसे ज्यादा भूमिका पंजाब की है।
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रोकथाम के आदेशों की नहीं हो रही पालना
उल्लेखनीय है कि जनजागरण समिति ने 15 जुलाई को श्रीगंगानगर में ओर 22 जुलाई को पंजाब के पटियाला शहर मेंं प्रदर्शन का ऐलान किया हुआ है। वार्ता के दौरान शिष्टमण्डल ने मंत्री को अवगत करवाया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित सम्बद्ध विभागों को नहरों-दरियाओं में प्रदूषित पानी-अपशिष्ट पदार्थ की रोकथाम के लिए कई आदेश पिछले समय में पारित किए हैं, लेकिन उसकी पालना या तो हो नहीं रही या फिर बिल्कुल धीमी गति से हो रही है, जबकि इस पर जल्दी कार्यवाही किया जाना अपेक्षित है।