सारणेश्वर के ज्योतिचार्य अशोक एम पंडित के अनुसार
श्राद्ध पक्ष के बाद पितृगण धरती से लौटते हैं, तब मां दुर्गा आती है। देवी हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं। इस साल माता का वाहन पालकी होगा।
अलग-अलग वाहनों से देवी के आगमन
शास्त्रों के अनुसार वार के मुताबिक देवी के वाहन होते हैं। इस नवरात्र गुरुवार शुरू होंगे। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र होने की शुरुआत होने पर माता डोली या पालकी पर आती है। अलग-अलग वाहनों से देवी के आगमन का विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्र का यह है महत्व नवरात्र मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है। नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप समर्पित होता है और हर स्वरूप की अलग महिमा है। आदिशक्ति जगदबा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है। नवरात्रा को लेकर जिलेभर में दुर्गा मंडलों की बैठकें होने वाली है।
तिथि के अनुसार होते वाहन
देवी का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्र के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। नवरात्र सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि देवी हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्वारूढ़ तथा गुरुवार, शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो, तब माता डोली या पालकी पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरूढ़ होकर आती है।