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मेगा जॉब फेयर में पत्रिका से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों के अलावा प्राइवेट कंपनियों की भी अपनी अपेक्षाएं होती है। जब कंपनी व अभ्यर्थी की अपेक्षाएं मेल खाती है तब नियुक्ति होती है। बोले, द्मये सरकारी टाइप नहीं है। सरकार में तो निकम्मा भी चल जाता है, लेकिन प्राइवेट में नहीं चल पाएगा।
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अभ्यर्थी लाल-काले-पीले कपड़ों के साथ पहनते हैं शूज
इस दौरान उन्होंने राजस्थान के अभ्यर्थियों के पहनावे व तौर तरीकों को भी रोजगार पाने में बाधक बताया। बोले, उन्होंने एक निरीक्षण किया है। जिसके अनुसार राजस्थान के अभ्यर्थियों में चार कमियां है। ग्रामीण परिवेश के होने पर वे काले, लाल व पीले कपड़ों के साथ स्पोर्ट्स शूज या चप्पल पहनकर आ जाते हैं। अंग्रेजी बोलने व सॉफ्ट स्किल की कमी के अलावा उनमें घर नहीं छोडऩे की प्रवृत्ति भी होती है। उन्होंने प्रदेश के युवाओं को गैर सरकारी क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा नौकरी दिलाने की मुख्यमंत्री की मंशानुसार वित्तीय वर्ष में 100 मेगा फेयर लगाने की बात कही। बताया कि प्रदेश के अब तक के 13 फेयर में पंजीकृत 3.5 लाख बेरोजगारों में से 1.5 लाख अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए पहुंचे। जिनमें से करीब 40 हजार अभ्यर्थियों को ऑफर लेटर दिया जा चुका है। दिया जा चुका है। सितंबर तक 40 फेयर आयोजित करने का लक्ष्य है। ब्लॉक लेवल पर भी होंगे।