2018 में करवाया था मरम्मत कार्य
कई वर्षों बाद रायपुर बांध का विभाग ने वर्ष 2018 में करोड़ों रुपऐ से जीर्णोद्धार करवाया था। इस दौरान मुख्य नहर का भी पेचवर्क करवाया गया था। मरम्मत कार्य के बाद उसी वर्ष जुलाई 2018 में एक ही दिन में जमकर हुई 5 घंटे बारिश में बांध 14.20 भरने के बाद डेढ़ फीट चादर चली थी। बारिश के दौरान बांध पर चादर चलने से यहां का पानी हरियाणा राज्य तक पहुंचता है। इन गांवों में होती बांध के पानी से सिंचाई : रायपुर बांध के पानी से गांव धांधेला, खारिया, न्यौराणा, बल्लूपुरा, मोहनपुरा, करजो, काचरेड़ा, मिंडाला, राजपुरा, नारायणपुरा, मेहता नगर आदि गांवों किसान सिंचाई करते थे।
वर्ष जलभराव फीट में
1980 13.10
1988 14.50
1993 14.20
1995 15.30
1996 15.00
2005 14.20
2010 15.20
2011 14.10
2018 16.20
1967-68 में हुआ रायपुर बांध का निर्माण
324 एमसीएफ टी है भराव क्षमता
14.20 फीट है भराव गेज
155.40 वर्ग किलोमीटर है कैचमेंट एरिया
1355 हैक्टेेयर सिंचित क्षेत्र
8.55 किमी लम्बी हैं नहर
2008 में छोड़ा था नहरों में पानी
कैचमेंट एरिया में अच्छी बारिश नहीं होने से बांध कई वर्षों से सूखा है। रास्ते में एनिकट व तलाई जल आवक को प्रभावित करते हैं। वर्ष 2018 में बांध की मरम्मत करवाई गई थी, उसी वर्ष बांध पर चादर भी चली थी।
नाथूराम, सहायक अभियंता
सिंचाई विभाग, नीमकाथाना
ये बोले किसान
रायपुर निवासी किसान मुरारी सिंह तंवर ने बताया कि बांध में पानी रहने से नहरों से खेतों में सिंचाई करने से अच्छी पैदावार होती थी। अब बांध सूखा होने से क्षेत्र में पानी का जलस्तर नीचे जाता जा रहा है। वहीं काचरेड़ा निवासी रामजीलाल यादव का कहना है कि फसलों की सिंचाई के लिए किसान अब नलकूप लगवा कर कृषि करने का मजबूर है।