अभी मिल रही बधाइयां, लेकिन कभी मिला था ताना
कांस्य पदक विजेता मोना अग्रवाल के संघर्ष की कहानी चुनौतियों से भरी है। राजस्थान के सीकर में जन्मी मोना अग्रवाल की दो बड़ी बहनें हैं। मोना के जन्म से पहले उनके माता-पिता बेटा चाहते थे, लेकिन बेटी पैदा हुई। ऐसे में मोना माता-पिता की चाहत नहीं थी। मोना के लिए चुनौतियां यहीं खत्म नहीं हुईं। लड़की होने का कलंक ही काफी नहीं था, मोना को बहुत छोटी उम्र में ही पोलियो हो गया, जिसके कारण उन्हें व्हीलचेयर पर रहना पड़ा। हालांकि इन सबके बीच मोना की नानी ने उन्हें हिम्मत और साहस दी। मोना को सिखाया कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है, बस काम में मन लगाना है। मोना बताती हैं कि, बेशक, व्हीलचेयर से बंधे होने के कारण, मुझे बाधाओं से अलग तरीके से निपटना पड़ा। मैं एक सामान्य व्यक्ति की तरह चीजों को नहीं कर सकती थी। लेकिन उसे करने का प्रयास करती।
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