राज्य सरकार ने इस मामले में पुलिस की ओर से शुल्क जमा करवाने के प्रावधान को ही समाप्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि अक्सर पुलिस डीएनए रिपोर्ट के मामले में पैसा जमा करवाने की लंबी प्रक्रिया का हवाला देकर मामले को दबा कर बैठ जाती थी।
जानकारी के मुताबिक, डीएनए के लिए एफएसएल में शुल्क जमा करवाने की प्रक्रिया लंबी होने की वजह से ही इस प्रावधान को ही समाप्त कर दिया गया है। बताया जाता है कि डीएनए जांच के मामले में पैसा स्वीकृत करवाने के लिए थाना पुलिस को न केवल एक विभाग से दूसरे विभाग में चक्कर लगाना पड़ता था, बल्कि इस दौरान मामले से संबंधित सैंपल के थाने में पड़े रहने से उसके नष्ट होने की संभावना भी बनी रहती थी।
एफएसएल डीएनए जांच के मामले में राजस्थान पुलिस से प्रत्येक सैंपल की एवज में पांच हजार रुपए लेती थी। इस भुगतान के लिए थाना पुलिस को पहले पैसा स्वीकृत करवाने के लिए संबंधित डीसीपी या एसपी कार्यायल से लेकर पुलिस मुख्याल तक चक्कर लगाना पड़ता था। भुगतान के स्वीकृत होने के बाद पुलिस को इसका डीडी भी बनवाना पड़ता था।
Read: लोग सड़कों पर घायल हो जाएं तो कौन उठाएगा, पुलिस सहायता केंद्र पर ही लगा है ताला
सिर्फ आनंद ही नहीं, पुलिस को है 80 हजार लोगों की तलाश, पूरे राजस्थान की जेलों को इंतजार
सबसे ज्यादा झूठे मामले दर्ज हो रहे राजस्थान में, आम आदमी ही बोलता है पुलिस के सामने