-13 फरवरी 2005 में प्रतिमा का अनावरण व इसी दिन दर्शनार्थ खोला गया।
-12 बजकर 21 मिनट पर इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर की प्रथम आरती।
-सरदारशहर निवासी मूलचंद विकास कुमार मालू के सौजन्य से मंदिर का निर्माण।
-दक्षिण भारत व पश्चिम बंगाल के कारीगरों ने द्रविड़ शैली पर मंदिर बनाया।
-इस मंदिर में भगवान राम परिवार और भगवान गणेश की मूर्तियां भी हैं।
-जयपुर के प्रजापति आर्ट ने इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर की प्रतिमा डिजाइन की।
-मंदिर रतनगढ़-गंगानगर हाई वे पर सरदारशहर से आठ किमी पहले स्थित है।
-करीब सात एकड़ (11 बीघा) जमीन में फैला हुआ बालाजी मंदिर परिसर बेहद आकर्षक है।
राजा की तरह आशीर्वाद की मुद्रा में बैठे बालाजी
इच्छापूरण बालाजी मंदिर सरदारशहर के पुजारी घनश्याम बिरला दावा करते हैं कि यूं तो दुनियाभर में इच्छापूर्ण बालाजी के नाम से कई मंदिर हैं, मगर सरदाशहर स्थित यह विश्व का ऐसा इकलौता मंदिर है, जिसमें बालाजी की प्रतिमा राजशाही दरबार के रूप में हों और बालाजी राजा की तरह आशीर्वाद की मुद्रा में विराजमान हों। मंदिर पौराणिक शैली पर बना है। इसमें बिरला मंदिर जयपुर ? और सोमनाथ मंदिर गुजरात को मिलाजुला रूप है।
मंदिर की आरती
-सुबह 5 बजे : मंगला आरती
– सुबह 11 बजे : राजभोग आरती
-शाम को 6 से 7 बजे : सांयकाल आरती
-रात आठ बजे : भोग आरती
-रात 9 से 9.15 बजे : शयन आरती
बसंत पंचमी पर वार्षिक मेला
यूं तो इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर सरदारशहर में सालभर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है, मगर बसंत पंचमी पर यहां वार्षिक मेला भरता है। उसमें बालाजी के भक्तों का उत्साह देखते बनता है। इसके अलावा हर मंगलवार और हनुमानजयंती पर भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है।
मंदिर की प्रमुख जगहों से दूरी
दिल्ली से दूरी-325 किमी
जयपुर से दूरी 225 किमी
चूरू से दूरी 60 किमी