गांव में सार्वजनिक व निजी करीब 40 वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए हैं। वर्तमान में गांव का भूमिगत जलस्तर मात्र 200 फीट पर है, जबकि अन्य गांवों व सीकर शहर में यह 500 से 600 फीट से भी अधिक है। पिछले सात साल में गांव का भूमिगत जलस्तर 10 फीट से अधिक उपर आया है। वहीं बारिश के पानी को सहेजने के चलते हर माह लाखों लीटर पेयजल की बचत भी हो रही है। आमजन को पेयजल के लिए परेशान नहीं होना पड़ रहा है। इसका परिणाम यह आया कि अब गांव के सूखे हैंडपंपों और कुंए में भी पानी आने लगा है।
विवेकानंद नवयुवक मंडल हर्ष के शंकर हर्ष व मुकेश कुमार ने बताया कि गांव में सार्वजनिक वॉटर रिचार्ज प्वाइंट के साथ ही आमजन ने अपने घरों में जमनालाल कनीराम बजाज ट्रस्ट के सहयोग से लोगों के घरों के छत के पानी को सहेजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए हैं। इसके जरिए टांकों में पेजयल की व्यवस्था की गई है।
शुरू में युवाओं ने अपने खर्चे व आमजन के सहयोग से गांव में बारिश का पानी एकत्रित होने वाली जगह पर वॉटर रिचार्ज प्वाइंट बनाए। इसके बाद गांव के सरकारी स्कूल, सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे वॉटर रिचार्ज प्वाइंट बनाए गए। ट्रस्ट की ओर से घर के छत के बारिश के पानी को पेयजल के लिए बचाने के लिए 1.20 लाख रुपए की लागत आती है, इसमें 30 से 35 हजार रुपए दिए जाते हैं। हर्ष गांव के लोग हर्ष पहाड़ से बहकर आने वाले बारिश के पानी को भी खेतों में मेड़बंदी कर रोकते हैं।
युवाओं ने ऐसे की पहल
गांव में बारिश का पानी भरने से जगह-जगह गंदगी हो जाती थी। पानी भराव की समस्या थी। इसके बाद युवाओं ने एक ट्रस्ट से जानकारी साझा की। क्षेत्र में पहले से बने वॉटर रिचार्ज प्वाइंट्स का निरीक्षण किया। गांव के युवाओं ने सबसे पहले 2017 में गांव के बीचोंबीच वॉटर रिचार्ज प्वाइंट बनाया। गांव में 200 फीट पर भूमिगत जलस्तर है। ऐसे में युवकों ने 160 फीट नीचे तक बोरवेल किया ताकि पानी भूमिगत जलस्तर में 40 फीट नीचे तक जा सके। इससे गांव की पानी भराव की समस्या दूर हो गई। गांव के युवाओं ने 2023 में भी ऐसे दो वॉटर रिचार्ज प्वाइंट बनाए हैं।
ऐसे बनाते हैं वॉटर रिचार्ज प्वाइंट
विवेकानंद नवयुवक मंडल हर्ष के युवा स्वयं अपने स्तर पर हर वॉटर रिचार्ज के लिए एक 10 बाई 10 का पक्का टंकीनुमा स्टक्चर बनाते हैं। हैडपंप या ट्यूबवैल के पाइप के चारों ओर चार फीट चौड़ा व 20 फीट गहरा गड्डा बनाकर इसमें कं₹ीट भरते हैं। पाइप के चारों ओर छिद्र करते हैं। यहां से पानी पाइप में जाने से पहले छनता है। पाइप के चारों ओर बारीक जाली लगाते हैं, ताकि मिट्टी व अन्य पदार्थ नीचे नहीं जाए।
सूखे हैडपंप व ट्यूबवैल को रिचार्ज प्वाइंट में किया तब्दील
हर्ष गांव में जो हैडपंप और ट्यूवैल सूख चुके थे, उन्हें युवाओं की टीम ने हर्ष गांव के ग्रामीणों व अन्य भामाशाहों के आर्थिक सहयोग से वॉटर रिचार्ज प्वाइंट में तब्दील कर दिया है। इससे बारिश का पानी इनमें जाता रहता है, गांव में कीचड़, गंदगी व जलभराव की स्थिति से भी निजात मिली है और भूमिगत जलस्तर भी बढ़ा है। यहीं नहीं सीकर शहर के आसपास के ज्यादातर गांवों में जलस्तर घटने से पानी में फ्लोराइड की मात्रा भी बढ़ गई है। जबकि हर्ष गांव में पेयजल में फ्लोराइड नहीं है।